इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति के लिए विज्ञापन जारी Prayagraj News
इविवि और मंत्रालय के बीच चली मंत्रणा के बाद विज्ञापन जारी किया गया। इविवि के ऑर्डिनेंस के मुताबिक स्थायी कुलपति की नियुक्ति पांच वर्ष के लिए होगी।
प्रयागराज,जेएनएन । इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति के लिए सोमवार की देर शाम जारी कर दिया गया। कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी के अनुमोदन के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) और इविवि की वेबसाइट पर भी विज्ञापन जारी किया गया है।
दरअसल, इविवि के कुलपति पद से प्रोफेसर रतन लाल हांगलू के इस्तीफे के बाद कार्यवाहक के भरोसे चल रहा है। मंत्रालय के निर्देश पर स्थायी कुलपति के लिए विज्ञापन तैयार किया गया। कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी ने सोमवार को विज्ञापन अनुमोदित कर दिया। देर शाम तक इविवि और मंत्रालय के बीच चली मंत्रणा के बाद विज्ञापन जारी किया गया। इविवि के ऑर्डिनेंस के मुताबिक स्थायी कुलपति की नियुक्ति पांच वर्ष के लिए होगी।
10 वर्ष के अनुभवी कर सकते हैं आवेदन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेगुलेशन के मुताबिक प्रोफेसर अथवा समकक्ष किसी पद पर 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कुलपति पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को प्रशासनिक पदों पर दी गई सेवा के साथ उच्च शिक्षा में दिए गए योगदान के बारे में भी बताना होगा। प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए किए गए एमओयू और अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक अनुभव बताने होंगे। आवेदक 100 शब्दों में अपनी ताकत और 500 शब्दों में इविवि को लेकर अपना पक्ष रखना होगा।
फरवरी में कार्य परिषद की बैठक प्रस्तावित
सूत्रों की मानें तो फरवरी के पहले सप्ताह में कार्य परिषद की बैठक भी बुलाई जाएगी। इसमें सर्च कमेटी गठित होगी। कमेटी में दो सदस्यों को कार्य परिषद के प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया जाएगा। तीसरा सदस्य इविवि के विजिटर यानी राष्ट्रपति की ओर से नामित किया जाएगा। नामित सदस्य ही सर्च कमेटी का संयोजक होगा। कमेटी के सदस्य आवेदनों की स्क्रूटनी करेंगे। पांच नामों का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा जाएगा। हालांकि, बैठक के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। कार्य परिषद की बैठक से पूर्व एकेडमिक काउंसिल की भी बैठक होगी। इसमें छात्रसंघ बहाली के भी आसार हैं। ऐसा इसलिए कि कार्यवाहक कुलपति भी यह कहकर संकेत दे चुके हैं कि यदि शिक्षक संघ और कर्मचारी संघ हो सकता है तो छात्रसंघ क्यों नहीं?