Pollution : लगातार बढ़ रहा प्रदूषण पर जहरीली हवाओं से बेपरवाह 'सरकार' Prayagraj News
न पानी का छिड़काव किया गया न ही भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई गई। प्रदूषण कम करने के लिए प्रशासन ने कोई उपाय नहीं किए। समस्या को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। स्मॉग का प्रभाव बढऩे के साथ ही वाराणसी, कानपुर समेत अन्य प्रमुख शहरों में प्रशासनिक तंत्र भले ही सक्रिय हो गया हो लेकिन प्रयागराज में अधिकारी अभी भी समस्या से बेपरवाह ही बने हुए हैं। न तो पानी का छिड़काव किया जा रहा है और न ही शहर में डीजलयुक्त गाडिय़ों के संचालन पर रोक लगाई जा रही है। अधिकारियों को सिर्फ शासन के फरमान से अवगत करा दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसान पराली न जलाएं।
एयर क्वालिटी इंडेक्स करीब 600 होने पर भी प्रशासन लापरवाह बना रहा
वाराणसी में एयर क्वालिटी इंडेक्स के सात सौ तक पहुंचने पर वहां हजारों लीटर पानी का छिड़काव किया गया। प्रयागराज में दो दिन तक एयर क्वालिटी इंडेक्स छह सौ के आसपास रहने के बावजूद प्रशासन लापरवाह बना रहा। शहर में सबसे ज्यादा प्रदूषण डीजल युक्त सवारी गाडिय़ों और भारी वाहनों से होता है। इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। रात में नो इंट्री खत्म होने के बाद शहर के भीतर प्रयागराज-कानपुर मार्ग, प्रयागराज वाराणसी मार्ग, लखनऊ मार्ग पर ट्रकों की कतार लग जाती है। इससे भारी मात्रा में जहरीला धुंआ निकलता है। ट्रक ड्राइवर टोल टैक्स बचाने के चक्कर में गाडिय़ों को शहर के बीच से लेकर निकलते हैैं, जबकि कानपुर से प्रयागराज होकर वाराणसी की ओर आवागमन के लिए हाईवे है। इतना ही नहीं दीपावली के बाद प्रदूषण बढऩे पर जिला पर्यावरण समिति की बैठक तक नहीं हुई।
चेताने पर भी प्रशासन गंभीर नहीं है : डॉ. आरसी वैश्य
एमएनएनआइटी में सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के अध्यक्ष और प्रदूषण की जांच करने वाले डॉ. आरसी वैश्य का कहना है कि वह अपनी रिपोर्ट में लगातार यह इंगित कर रहे हैं प्रयागराज में प्रदूषण का स्तर बहुत खराब है। बावजूद इसके प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। आने वाले समय में स्थिति और विकट हो सकती है।
चार गुना बढ़ गई मॉस्क की बिक्री
प्रयागराज की हवाएं 'जहरीली' होने से मॉस्क के धंधे ने भी जोर पकड़ लिया है। दीपावली के बाद से मॉस्क की बिक्री में करीब चार गुना की वृद्धि हुई है। मॉस्क की कीमत पांच रुपये से 80 रुपये प्रति पीस है। इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल दुबे का कहना है कि पहले मेडिकल स्टॉफ आपरेटर आदि के लिए मॉस्क लेता था, लेकिन अब सामान्य व्यक्ति भी मॉस्क खरीद रहे हैं। प्रदूषण बढऩे से दमा-सांस के मरीजों के अलावा टै्रफिक सिपाही भी मॉस्क खरीद रहे हैं। पहले एक दुकानदार प्रतिदिन 50 मॉस्क बेचता था तो अब 200 बेच रहा है। प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि बहुत से लोग एहतियातन भी मॉस्क लगा रहे हैं, जिससे बिक्री बढ़ी है।