Move to Jagran APP

अपनी फिक्र छोड़ क्रिकेटरों के हुनर को निखार रहे आदित्य शुक्ला, प्रतापगढ़ के स्टेडियम में अकेले जमे रहे कोरोना काल में

प्रतापगढ़ जनपद में खेल के क्षेत्र में प्रतिभाएं निखारने के लिए कुछ प्रशिक्षकों ने अपना मिशन बना लिया है। संसाधनहीन ऐसे खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए स्टेडियम में आदित्य शुक्ला क्रिकेट समेत अन्य खेल की कोचिंग कोरोना काल में भी देते रहे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 05:06 PM (IST)
अपनी फिक्र छोड़ क्रिकेटरों के हुनर को निखार रहे आदित्य शुक्ला, प्रतापगढ़ के स्टेडियम में अकेले जमे रहे कोरोना काल में
आदित्य शुक्ला क्रिकेट समेत अन्य खेल की कोचिंग कोरोना काल में देते रहे। खिलाड़ी भी उनके त्याग से प्रभावित हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जनपद में खेल के क्षेत्र में प्रतिभाएं निखारने के लिए कुछ प्रशिक्षकों ने अपना मिशन बना लिया है। संसाधनहीन ऐसे खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए स्टेडियम में आदित्य शुक्ला क्रिकेट समेत अन्य खेल की कोचिंग कोरोना काल में भी देते रहे। खिलाड़ी भी उनके त्याग से प्रभावित हैं।

loksabha election banner

कोरोना काल में थमा खेल

संसाधनहीन खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए स्टेडियम में आदित्य शुक्ला क्रिकेट, अजय सिंह तलवारबाजी, मनोज पाल एथलीट, विनोद यादव कुश्ती, कुमारी निशा कबड्डी, बबिता हैंडबाल व संदीप यादव वालीबाल के कोच नियुक्त हुए थे। इसमें संजय, विनोद व अजय को प्रति महीने 25 हजार रुपये और अन्य कोच को 20 हजार रुपये मानदेय मिलता था। हर साल इन्हें 10 से 11 महीने तक कोचिंग कार्य पर रखा जाता था। वर्ष 2019 में संविदा का नवीनीकरण हुआ था। कोरोना काल की वजह से 25 मार्च को लॉकडाउन घोषित किया गया तो स्टेडियम बंद कर दिया गया। इनकी संविदा का नवीनीकरण अप्रैल महीने में होना था, लेकिन कोरोना काल की वजह से नहीं हुआ। मानदेय न मिलने से आदित्य शुक्ला को छोड़कर सभी कोच अपने पैतृक गांव चले गए क्योंकि उन्हें परिवार का खर्च चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। स्टेडियम एक अक्तूबर 2020 को तो खुल गया, लेकिन किसी भी खेल के कोच की संविदा का नवीनीकरण नहीं किया गया और न ही नए कोच की नियुक्ति हुई।

सभी कोच घर गए मगर आदित्य देते रहे प्रशिक्षण

स्टेडियम खुलने पर वालीबाल, क्रिकेट के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने आने लगे, लेकिन कोच के न होने से खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पा रहे थे। खिलाडिय़ों को इस पीड़ा को महसूस किया कि कोच आदित्य शुक्ला ने। उन्होंने ठान ली कि भले ही मानदेय नहीं मिलेगा, लेकिन वे अपने खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने में पीछे नहीं रहेंगे। उनके इस जज्बे खिलाडिय़ों का हौंसला बढ़ा है। वह कहते हैं कि यही प्रतिभाएं एक दिन निखकर जिले का नाम रोशन करेंगे। उनको फिर किसी चीज की कमी न होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.