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Action on Mafia : विदेशी असलहा और लग्जरी गाड़ियों का शौकीन है माफिया अतीक

Action on Mafia हथियारों और लग्जरी गाड़यिों के शौकीन अतीक ने कभी सियासी कवच पहनकर तो कभी अपराधिक छवि के कारण लगातार अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश की मगर अब लोगों का कहना है कि पहली दफा योगी सरकार में माफिया ने सबसे बड़ी चोट खाई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:51 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 04:51 PM (IST)
Action on Mafia : विदेशी असलहा और लग्जरी गाड़ियों का शौकीन है माफिया अतीक
अपने जमाने के बाहुबली चांद बाबा की हत्या के बाद ही अतीक का नाम उभरा था।

प्रयागराज,जेएनएन। जिले के पूर्व सांसद व माफिया अतीक अहमद का पुश्तैनी आलीशान मकान ढहाया गया तो प्रशासन की कार्रवाई सुर्खियों में छा गई। सोशल मीडिया से लेकर मुहल्ले तक के लोग माफिया से जुड़ी हर बात को बता और जान रहे हैं। अपराध से लेकर सियासी कदम के बारे में चर्चा हो रही है तो तमाम लोग शौक व दूसरी किस्से पर दिलचस्पी रख रहे हैं। कहते हैं कि देसी तमंचा पकड़कर जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद अतीक को बाद में विदेशी असलहों का शौक हो गया। अपराध से पैसा कमाया तो लग्जरी गाड़यिां भी उसकी शौक का हिस्सा बन गई हैं। अतीक जब चलता था तो काफिले में एक से बढ़कर एक मंहगी कारें होती थी।

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17 साल की उम्र दर्ज हुआ था पहला मुकदमा

जानकारों का कहना है कि खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के चकिया मुहल्ले में रहने वाले अतीक के वालिद स्व. हाजी फिरोज अहमद प्रयागराज (उस वक्त इलाहाबाद) रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाते थे। पढ़ाई में मन ठीक से न लगने के कारण अतीक हाईस्कूल की परीक्षा में फेल हो गए। उन्हें भी नए लड़कों की तरह पैसा कमाने का चस्का लग गया। इसी बीच करीब 1979 में खुल्दाबाद थाने में अतीक के खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। उस वक्त उम्र 17 बरस ही थी। ऐसे में वह नौजवानों के बीच गुंडा बन गए और रंगदारी वसूलने से लेकर दूसरी वारदात को अंजाम देने लगे। जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद अतीक पर हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी, अपहरण, लूटपाट, गैंगस्टर, गुंडा और धमकी समेत लगभग 210 मुकदमे लिखे गए। इसमें 113 मुकदमे सेल्स टैक्स विभाग के भी हैं। इसमें से कई मुकदमों में अतीक बरी हो चुके हैं। उनके इंटर स्टेट गैंग यानी आइएस 227 में 150 से अधिक सदस्य हैं, जिसमें से कुछ अभी भी सक्रिय हैं और पुलिस के रडार पर हैं। हथियारों और लग्जरी गाड़यिों के शौकीन अतीक ने कभी सियासी कवच पहनकर तो कभी अपराधिक छवि के कारण लगातार अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश की, मगर अब लोगों का कहना है कि पहली दफा योगी सरकार में माफिया ने सबसे बड़ी चोट खाई है।

अतीक के सामने नहीं उतरते थे चुनाव में

शहर पश्चिमी विधानसभा सीट में दमखम रखने वाले अतीक के खिलाफ जल्द कोई चुनाव मैदान में नहीं उतरता था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अतीक के ही करीबी कहे जाने वाले राजू पाल को टिकट दे दिया। राजू पाल ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को चुनाव में पटखनी दी तो बाहुबल को झटका लगा। इसके बाद 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज के सुलेम सराय इलाके में बसपा विधायक राजू पाल को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। अतीक, उनके भाई अशरफ पर मुकदमा होने के साथ खराब दौर भी शुरू हुआ। मायावती ने अतीक के साम्राज्य पर बुलडोजर चलवाते हुए गैंग को कमजोर कर दिया था। सपा सरकार में सबकुछ सामान्य रहा, लेकिन भाजपा सरकार में पुरानी और मजबूत जड़ें फिर से उखाड़ी जा रही हैं। राजूपाल हत्याकांड में सीबीआइ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

माफिया का सहारा लेती थी पुलिस

अतीक अहमद ने पहली बार वर्ष 1989 में शहर पश्चिमी से निर्दलीय पर्चा भरा और जीत हासिल की। इसके बाद दो बार और विधायक हुए। फिर सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते। अपना दल से भी विधायक बने। फूलपुर से सांसद हुए लेकिन दूसरी बार लोकसभा चुनाव में मात खा गए।  उन्होंने अपने छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी एक बार विधायक का चुनाव जितवाया। पुराने जानकारों का कहना है कि अपने जमाने के बाहुबली चांद बाबा की हत्या के बाद ही अतीक का नाम उभरा था। तब तमाम नेताओं के साथ ही पुलिस ने भी दूसरे गैंग को कमजोर करने के लिए अतीक का सहारा लिया था, जिसके बाद अतीक माफिया बन गए।


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