Kumbh mela 2019 : सनातनी आध्यात्म भाया और त्याग दी हाइ प्रोफाइल माया
नागा सन्यासी बनने वालों में विदेशी कंप्यूटर इंजीनियर से लगायत डाक्टर तक शामिल हैं। विरक्ति आने पर बीच सफर में छोड़ी नौकरी, अब जमा ली अखाड़ों में धूनी।
राकेश पांडेय, कुंभनगर : भगवा चोले में विदेशी काया कैलिफोर्निया शिव गिरि की है। करीब 40 वर्ष की अवस्था वाले शिव गिरि कुछ माह पहले तक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर कंप्यूटर इंजीनियर अपनी सेवा दे रहे थे। मोटा पैकेज, शानदार दफ्तर, महंगी गाडियों का शौक और बेहतरीन लाइफ स्टाइल। इन सबके बीच वे खुद व्यक्तिगत तौर पर पिछले काफी समय से तनावग्रस्त पा रहे थे। कुछ वक्त तक समन्वय बनाने की कोशिश की अंतत: विरक्ति आ ही गई तो नागा संन्यासी बन गए।
जूना अखाड़ा में धूनी जमाए शिव गिरि के साथ ही मिलीं महिला संन्यासी रूस की शिवा गिरि। अबकी कुंभ में वे भी मौका मिलने पर नागा संन्यासी बनेंगी। शिवा भी उसी कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर की सेवा दे रही थीं जहां शिव गिरि थे। अब दोनों ही सहकर्मी गुरु-शिष्या के तौर पर सनातनी आध्यात्म में डूब चुके हैं।
सांसारिक सॉफ्टवेयर उन्हें मोहपाश में बांध नहीं पाया
आकाश गिरि विधिवत धूनी के बीच त्रिशूल लगाए मिले। जबलपुर के रहने वाले आकाश गिरि ने कंप्यूटर डायवर्टिंग एप्लिकेशन में डिप्लोमा किया था लेकिन सांसारिक सॉफ्टवेयर उन्हें मोहपाश में बांध नहीं पाया और संन्यासी हो गए। आह्वान अखाड़ा में अबकी बार ही नागा संन्यासी बने त्रिवेणी गिरि अरसे तक बतौर चिकित्सक प्रैक्टिस करते रहे। उन्होंने त्रिवेंद्र मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया था। करीब दो दशक तक मेडिकल प्रैक्टिस करने के बाद उन्होंने सांसारिक मोह माया से विदा ले ली और अखाड़ा के भारद्वाज गुरु से दीक्षित हो गए। अब उन्होंने गुरुओं के सानिध्य में नागा संन्यासी के त्याग भाव में जीवन को समर्पित कर दिया है। बताते हैं कि बचपन से ही आध्यात्म की तरफ रुझान था, जिसे अब जाकर हासिल कर पाया हूं।
नौकरी में मन नहीं लगा और बन गए संन्यासी
आह्वान अखाड़ा में ही नर्मदेश्वर गिरि भी मिले जो पहले ही नागा संन्यासी बन चुके हैं। उन्होंने कोलकाता से इंजीनियरिंग की थी, नौकरी भी की लेकिन मन नहीं लगा। इसी अखाड़ा में नागा साधु दिगंबर रमेश गिरि भी मिले जिनकी शिक्षा बीएड तक है।
अतीत न पूछ बच्चा...
नागा सन्यासियों का अतीत जान पाना अपने आप में बड़ी चुनौती है। हो सकता है कि अधिक समय साथ बिताएं या बार-बार की मुलाकात हो तो बातों-बातों में कुछ विस्तार से पता चल जाए, लेकिन आमतौर पर बेहद मुश्किल होता है। संन्यासी बनने से पहले के उनके जीवन के बारे में जान पाना। उपरोक्त वर्णित सभी नागा संन्यासियों से प्रकारांतर के हर पहलू को आजमाने के बाद भी उनका अतीत रहस्य ही रहा। अधिक कुरेदने की कुचेष्टा करना भी किसी सार्थकता को प्राप्त नहीं होता। अधिक से अधिक जवाब मिलेगा तो यही कि अतीत न पूछ बच्चा, सबकुछ त्याग चुके हैं तभी तो संन्यासी हुए हैं। पिंडदान तक कर लिया अब बचा क्या, जब पहले की मोह-माया याद ही रखनी है तो संन्यास क्यों लिया।
उच्च व व्यावसायिक शिक्षा की उपाधि प्राप्त भी बन रहे नागा : महंत सत्य गिरि
आह्वान अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत सत्य गिरि कहते हैं कि अब बहुत से ऐसे शिष्य नागा सन्यासी बनने के लिए आने लगे हैं जिनके पास उच्च व व्यावसायिक शिक्षा की उपाधियां हैं। कई ऐसे भी हैं जो नागा बनने के पूर्व अच्छी नौकरियों में रहे हैं। विदेशियों के सनातन धर्म की तरफ आकर्षित होने की वजह पश्चिम की तनाव भरी जीवनशैली है। सनातन धर्म उन्हें ज्ञान और शांति की छांव देता है।
कुछ वर्षों में नागा संन्यासी बनने का रुझान बढ़ा है : महंत प्रेम गिरि
जूना अखाड़ा के सचिव महंत प्रेम गिरि कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में आधुनिक जीवन शैली जीने वालों में नागा संन्यासी बनने का रूझान बढ़ा है। इस कुंभ में जूना अखाड़ा को चार हजार नए नागा संन्यासी मिले हैं।