न्याय के मंदिर Allahabad Highcourt को नए भवन की सौगात, 450 करोड़ रुपये बजट का प्रविधान किया गया है नई बिल्डिंग के लिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के मुख्यद्वार के सामने गुंबद पर लहराता तिरंगा हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है। इसकी ख्याति न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में है। मौजूदा भवन गौरवगाथा को संजोए है। प्रदेश सरकार ने न्याय के इस मंदिर को नए भवन की सौगात दी है
प्रयागराज, जेएनएन। निष्पक्ष व त्वरित न्यायिक व्यवस्था के प्रति योगी आदित्यनाथ सरकार की प्रतिबद्धता बजट में नजर आई है। वादे के अनुरूप सरकार ने बजट में न्यायिक भवन, न्यायमूर्ति आवास की चिंता की है। वकीलों के चेंबर और नए अधिवक्ताओं के पठन-पाठन के लिए धन मुहैया कराया गया है। सबसे अहम है इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए नए भवन का प्रस्ताव और उसके लिए 450 करोड़ रुपये का बजट प्रविधान करना।
प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के मुख्यद्वार के सामने गुंबद पर लहराता तिरंगा दूर से हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है। इस हाईकोर्ट की ख्याति न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में है। मौजूदा भवन गौरवगाथा को संजोए है। प्रदेश सरकार ने न्याय के इस मंदिर को नए भवन की सौगात दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का गठन 17 मार्च 1866 को हुआ था। हाईकोर्ट को आगरा से स्थानांतरित कर प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) लाया था। पहले यह दूसरे भवन में संचालित होता था, बाद में इसे अपना भवन मिला। शुरुआत में केवल छह न्यायाधीश थे। मौजूदा समय में हाईकोर्ट में 160 न्यायमूर्ति के पद स्वीकृत हैं। समय के साथ यहां प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की संख्या में इजाफा हुआ है।
तकरीबन 15 हजार वकील करते हैं प्रैक्टिस
प्रयागराज में ही मौजूदा समय करीब 15 हजार वकील यहां प्रैक्टिस करते हैैं। संख्या अधिक होने के कारण वकीलों को चेंबर, पार्किंग, लाइब्रेरी की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पुराने भवन में जगह का अभाव है। यही कारण है कि इलाहाबाद पीठ के नए भवन के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ है। नया भवन बनने से वकीलों व वादकारियों को सहूलियत मिलेगी। वैसे नया भवन कहां और कैसे बनेगा? कार्यदायी संस्था क्या होगी, अभी उसका निर्धारण नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि झलवा की ओर हाईकोर्ट का नया भवन बन सकता है, क्योंकि उसी तरफ जजों के लिए कालोनी भी प्रस्तावित है।
तीन साल तक वकीलों को मिलेंगे पांच हजार
सरकार ने युवा अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए कार्पस फंड में पांच करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। यूपी बार काउंसिल के को-चेयरमैन प्रशांत सिंह 'अटलÓ इसे सरकार की बेहतर पहल बताया। कहा कि काउंसिल में पंजीकरण कराने के बाद नए वकीलों को पैसे की दिक्कत होती है, क्योंकि तुरंत केस नहीं मिलता। इससे उन्हें पढ़ाई के लिए किताबें, स्टेशनरी आदि का प्रबंध करने में समस्या आती है। सरकार ने रजिस्ट्रेशन कराने के बाद नए वकीलों को तीन साल तक सालाना पांच-पांच हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि के लिए न्यासी समिति को अंतरण के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
टीन-छप्पर से वकीलों को मिलेगा छुटकारा
जिला व तहसील के वकीलों के समक्ष चेंबर की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। वह टिन व छप्पर के नीचे बैठकर काम करने को मजबूर हैं। प्रयागराज में 16 दिसंबर 2020 को यूपी बार काउंसिल द्वारा आयोजित 'अधिवक्ता समागम में मुख्यमंत्री के समक्ष यह समस्या उठाई गई थी। बजट में हर जिला में अधिवक्ता चैंबर का निर्माण व उनमें अन्य अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 20 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इससे चेंबर की समस्या बहुत हद तक सुलझ जाएगी।