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संगमनगरी से आंदोलित किसानों को सद्भाव का संदेश, कल्पवासी चाहते हैं कि जल्द खत्म हो किसान आंदोलन

माघ मेला हो अथवा कुंभ संगम की रेती से सामाजिक मुद्दों पर भी देश भर मे्ं संदेश जाता है। इस बार माघ मेले में किसान आंदोलन कल्पवासियों के साथ-साथ संत-महात्माओं में चर्चा का विषय है। ज्यादातर कल्पवासी किसान हैैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 07:00 AM (IST)
संगमनगरी से आंदोलित किसानों को सद्भाव का संदेश, कल्पवासी चाहते हैं कि जल्द खत्म हो किसान आंदोलन
माघ मेला हो अथवा कुंभ, संगम की रेती से सामाजिक मुद्दों पर भी संदेश जाता है।

प्रयागराज, जेएनएन। माघ मेला हो अथवा कुंभ, संगम की रेती से सामाजिक मुद्दों पर भी संदेश जाता है। इस बार माघ मेले में किसान आंदोलन कल्पवासियों के साथ-साथ संत-महात्माओं में चर्चा का विषय है। ज्यादातर कल्पवासी किसान हैैं। वह कहते हैैं कि आंदोलित किसानों को हिंसा से परहेज करना चाहिए। बातचीत ही एक रास्ता है। बात कर इसका रास्ता निकालना चाहिए ताकि देश में अमन चैन बना रहे।

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बोले कल्पवासी,  सरकार से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालें नेता

यहा माघ मेला में कल्पवास कर रहीं छत्तीसगढ़ से आयीं शर्मिला देवी कहती हैं कि किसानों के आंदोलन में राजनीति का प्रवेश होना चिंताजनक है। राजनीति के कारण नेता हठधर्मिता अपनाए हुए हैं।

रीवां जनपद से आए कल्पवासी काशीराम कहते हैं कि किसानों के हित की बात करने वाले नेता खुद की राजनीतिक जमीन बनाना चाहते हैं। केंद्र सरकार का कानून पूरी तरह से सही है मैं उसे नहीं मानता। चित्रकूट के भवरी गांव से आए देवराज तिवारी कहते हैं कि आंदोलन के लिए अड़े रहना अनुचित है। रास्ता बातचीत से ही निकलना है। कर्वी निवासी ननकू कहते हैं कि कोरोना की भयावह स्थिति से राष्ट्र धीरे-धीरे उबर रहा है। ऐसे में आंदोलन करके राष्ट्र को आर्थिक, सामाजिक रूप से चोट नहीं पहुंचानी चाहिए। यही सबकी इच्छा है।

प्रधानमंत्री ने सोच-समझकर कृषि कानून बनाया है। इसमें किसानों का हित है। अगर किसानों को कोई दिक्कत है तो वह सरकार के साथ वार्ता करके उसका निस्तारण करें। लंबे समय तक सड़क जाम करके बैठने से समस्या खत्म नहीं होगी।

महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद


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