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प्रयागराज जिले में कागज पर चल रहे हैं 50 धान क्रय केंद्र Prayagraj News

क्रय केंद्र संचालक किसानों से धान नहीं खरीदते हैैं जिसके कारण मजबूरी में किसान कम दाम पर धान बेच देते हैैं और क्रय केंद्र संचालक उसी धान को सरकारी दाम से कम रेट पर खरीदते हैैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 05:18 PM (IST)
प्रयागराज जिले में कागज पर चल रहे हैं 50 धान क्रय केंद्र Prayagraj News
प्रयागराज जिले में कागज पर चल रहे हैं 50 धान क्रय केंद्र Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन : धान खरीद मेें बड़े पैमाने पर धांधली शुरू हो गई है। जिले के लगभग 50 केंद्र तो कागज पर ही चल रहे हैैं। वहां न तराजू है और न ही बाट, सिर्फ बैनर ही लगा है। इनमें ज्यादातर पंजीकृत समितियों के केंद्र हैैं, जहां न खरीद हो रही है और न ही उनका कोई स्टॉफ होता है। सोमवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में धान की खरीद में हो रहा खेल पकड़ में आया।

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जो खुले हैं वहां नहीं हो रही खरीद , नए केंद्र  खोलने की तैयारी

जिले में पीसीएफ के 23, यूपी एग्रो के नौ, कर्मचारी कल्याण निगम के 14, एफसीआइ के तीन, खाद्य विभाग के विपणन शाखा के 21 व पंजीकृत समितियों के 36 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैैं। पंजीकृत समितियों के लगभग दो दर्जन और क्रय केंद्र खोले जाने की प्रक्रिया चल रही है। एक नवंबर से धान की खरीद शुरू है। इस बार भी जिले का लक्ष्य एक लाख 93 हजार मीट्रिक टन धान खरीदने का है। पिछले साल भी इतना ही लक्ष्य निर्धारित हुआ था। अब तक लगभग पांच सौ मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। धान क्रय केंद्रों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता की शिकायत पर दैनिक जागरण ने सोमवार को क्रय केंद्रों की हकीकत को जाना। इसमें लगभग 50 क्रय केंद्र कागज पर चल रहे हैैं। इसमें पंजीकृत समितियों के केंद्र सबसे ज्यादा हैैं। यमुनापार में कागजों पर संचालित होने वाले केंद्रों की तादाद ज्यादा है।

क्रय केंद्रों पर नहीं हो रही खरीद, किसान परेशान

क्रय केंद्रों पर धान की खरीद न होने से किसान हैरान-परेशान हैैं। वे रोज ही क्रय केंद्रों पर जाते हैैं मगर वहां सिर्फ बैनर ही लगा देख लौट आते हैैं। मजबूरी में उन्हें कम दाम पर धान बेचना पड़ रहा है। दरअसल, धान बेचने के बाद ही किसान अगली फसल की बुवाई करेंगे। इसी मजबूरी की समितियां फायदा उठा रही हैैं।

बताते हैैं कि कागजों पर संचालित क्रय केंद्रों का पूरा सिंडिकेट है। सिर्फ केंद्र ही कागजों पर नहीं संचालित होते, बल्कि पूरा केंद्रों पर पूरा व्यवसाय कागज पर हो जाता है। इसमें विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर राइस मिलर्स और पंजीकृत समितियों के संचालक तक की मिलीभगत होती है।

परेशान किसान कम दाम पर धान बेंचने को हैं मजबूर

क्रय केंद्र संचालक किसानों से धान नहीं खरीदते हैैं, जिसके कारण मजबूरी में किसान कम दाम पर धान बेच देते हैैं और क्रय केंद्र संचालक उसी धान को सरकारी दाम से कम रेट पर खरीदते हैैं। सरकार ने धान खरीद का रेट 1815 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया है। इसके अलावा 20 रुपये प्रति कुंतल छनाई-कटाई के लिए दिया जाता है। इस प्रकार से 1835 प्रति कुंतल धान का रेट सरकार से मिलता है। क्रय केंद्रों पर खरीद न होने से किसान लगभग 1600 रुपये प्रति कुंतल के भाव से धान बेचने को मजबूर हैैं। इसी धान को क्रय केंद्र संचालक 1625 से 1650 रुपये प्रति कुंतल के रेट पर बिचौलियों से खरीद लेते हैैं और फिर सीधे राइस मिल पहुंचा देते हैैं। ऐसे में क्रय केंद्र संचालकों को लगभग दो सौ रुपये प्रति कुंतल का लाभ हो रहा है। इसमेें खास बात यह है कि सरकार क्रय केंद्र संचालकों को खरीदारी के लिए 27 रुपये प्रति कुंतल कमीशन भी देती है। सिंडीकेड में शामिल लोगों के पास सभी कागजात भी हैैं जिनसे वे आसानी से भुगतान करा लेते हैैं। ऐसे में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व सीधे खाते में पैसे के नियम सब धरे रह गए हैैं।

हंडिया तहसील :  धान क्रय केंद्र कहां है भाई

सैदाबाद, धनुपुर, प्रतापपुर और हंडिया समेत चार ब्लाकों में अभी तक किसी भी क्रय केंद्र पर एक दाना धान की खरीद नहीं हो सकी। धान क्रय केंद्र कहां-कहां खुले हैं इसकी जानकारी भी किसानों को नहीं है। जिन गांवों में केंद्र होने का नाम आया है, उन गांव के क्रय केंद्र बंद हैं। अहिरी गांव के महेंद्र सिंह ने बताया कि क्रय केंद्र बंद हैं। सीकी खुर्द में भी केंद्र बंद है। धुलमा सहकारी समिति के सचिव शिवनारायण शर्मा ने बताया कि नमी मापक यंत्र न होने के कारण तौल नहीं किया जा रहा है। श्रीपुर ,गोपालीपुर व उग्रसेनपुर में भी धान की खरीद नहीं हो रही है। भदंवा, सलेमपुर, मिदिऊरा केंद्र भी बंद है। एसडीएम सुभाष यादव इससे अनभिज्ञ हैैं। कहा कि क्रय केंद्रों पर खरीद क्यों नहीं हो रही है, इसकी जांच कराई जाएगी।

सोरांव, मऊआइमा में पंजीकृत समितियों के केंद्र नहीं चल रहे

 सोरांव इलाके में दो अधिकृत समितियों के केंद्र बंद है। मऊआइमा के कटभर व सैदहा केंद्र सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि संबंधित गांव के लोगों को भी इन केंद्रों की जानकारी नही है। कटभर के वीरेंद्र प्रजापति, अमरपाल, शमीउल्ला, राम खेलावन ने गांव में ऐसे किसी केंद्र के खुलने पर अनभिज्ञता जाहिर किया है।

फूलपुर के अगरापट्टी तथा सेहुआडीह केंद्र भी नहीं चल रहे

अगरापट्टी तथा सेहुआडीह गांव में अभी तक धान क्रय केंद्र नहीं संचालित हो सके हैैं। अगरापट्टी के प्रधान संजय कुमार ने बताया कि केंद्र नहीं खुला है। सेहुआडीह के प्रधान दिलीप यादव ने बताया कि केंद्र खुला ही नहीं है।

धान का कटोरा कहा जाने वाले कोरांव इलाके में सन्‍नाटा

 इस इलाके को धान का कटोरा कहा जाता है। इसलिए यहां सबसे ज्यादा अनियमितता हो रही है। यहां भी पंजीकृत समितियों के केंद्र नहीं चल रहे हैैं।

अकोढ़ा केंद्र पर सिर्फ बैनर लगा

 अकोढ़ा धान क्रय केंद्र पर सिर्फ बैनर लगा है। यहां भी पंजीकृत समिति का क्रय केंद्र है। लोगों ने बताया कि अब तक यह केंद्र नहीं खुला है।

अफसर बोले

डिप्टी आरएमओ विनीत कुमार ने बताया कि पंजीकृत समितियों की शिकायतें आने पर जांच कराई जा रही है। जसरा केंद्र की शिकायत पर फौरन वहां अफसरों को भेजा गया था। नोडल अफसर लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैैं। जहां भी अनियमितता की शिकायत आएगी, वहां जांच कराकर कड़ी कार्रवाई कराई जाएगी।


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