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इलाहाबाद हाईकोर्ट से एसएससी से सीआरपीएफ में चयनित 36 अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को बचाव का मौका दिए बिना चयन रद करने और तीन साल तक परीक्षाओं से डिबार करने के आदेश को रद कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 11:49 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 11:49 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट से एसएससी से सीआरपीएफ में चयनित 36 अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट से एसएससी से सीआरपीएफ में चयनित 36 अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएससी की सिपाही भर्ती 2013 के तहत चयनित सीआरपीएफ के 36 अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने हस्तलेख व अंगूठा निशान का मिलान न होने की विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट के आधार पर अभ्यर्थियों को बचाव का मौका दिए बिना चयन रद करने और तीन साल तक परीक्षाओं से डिबार करने के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने एसएससी के आदेश को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ माना है और एकलपीठ के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने भारत सरकार की विशेष अपील पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ की राय साक्ष्य के रूप में स्वीकार की जा सकती है बशर्ते उसकी अन्य साक्ष्यों से पुष्टि हुई हो। कहा कि रिपोर्ट के खिलाफ आरोपित को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बिना साक्ष्य मानकर दंडित करना विधि सम्मत नहीं माना जा सकता।

मालूम हो कि एसएससी ने अर्धसैनिक बलों में भर्ती की थी। सीआरपीएफ के लिए चयनित रणविजय सिंह व 35 अन्य को नियुक्ति के लिए भेजा गया। लेकिन, एसएससी ने ही उनके अंगूठा निशान व हस्ताक्षर में मिलान न होने को आधार बताते हुए नियुक्ति पर रोक लगा दी। सभी को नोटिस देकर हस्ताक्षर व अंगूठा निशान के नमूने लिए गए। केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में उसे जांच के लिए भेजा गया। डेढ़ साल बाद आई रिपोर्ट में आशंका की पुष्टि हुई। इस पर सभी आरोपितों के आवेदन निरस्त कर दिए गए। इसके साथ ही तीन साल के लिए एसएससी की परीक्षाओं में शामिल होने पर इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसे चयनितों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस चुनौती याचिका पर एकलपीठ ने एसएससी के आदेश को अवैध करार देते हुए रद कर दिया, जिसे अपील में केंद्र सरकार ने चुनौती दी थी।

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