हैरानी की बात, प्रयागराज के 1.35 लाख जाब कार्ड धारकों ने नहीं मांगा काम, जानें इसका कारण
डीसी मनरेगा कपिल कुमार कहते हैं कि 61. 23 लाख मानव दिवस देने का लक्ष्य लगभग पूरा होने को है। 3. 24 लाख जाब कार्ड धारक हैं। इसमें से 1. 89 लाख लोगों ने काम मांगा जिनमें से एक लाख 64 हजार लोग काम करने के लिए पहुंचे।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता़। प्रयागराज के गांवों में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लोग काम ढूंढ़ रहे थे। हालांकि आश्चर्यजनक तरीके से सवा लाख से ज्यादा मनरेगा जाब कार्ड धारकों ने काम नहीं मांगा। गरीबों को गांव में ही काम देने, उनके जीवन स्तर में सुधार लाने व आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मनरेगा अधिनियम लागू है। हर गांव में गरीब परिवारों को गांव में रहकर 100 दिन का रोजगार मिलता है। गरीबों को काम करने के लिए पलायन नहीं करना पड़ता, उन्हें आर्थिक तौर पर मदद मिलती है। हैरानी की बात यह है कि गरीब परिवारों ने मनरेगा जाब कार्ड तो बनवा लिया पर अब काम नहीं मांग रहे।
काम न मांगने वाले जाब कार्ड फर्जी हैं या नहीं, यह जांच का है विषय
जिले में मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले 3.24 लाख मनरेगा जाब कार्ड धारक है। इनमें से 1. 89 लाख जाब कार्ड धारकों ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में काम मांगा। 1.35 लाख जाब कार्ड धारकों ने काम ही नहीं मांगा। यानी सवा लाख से अधिक मनरेगा परिवारों को या तो काम की अब आवश्यकता नहीं है या फिर उन्हें काम मांगने के तरीके के बारे में जानकारी ही नहीं है। 1.64 लाख (87 प्रतिशत) लोग ही काम करने पहुंचे। काम न मांगने वालों के जाब कार्ड फर्जी हैं या सही, अब यह जांच का विषय है।
जानें, डीसी मनरेगा क्या कहते हैं
डीसी मनरेगा कपिल कुमार कहते हैं कि 61. 23 लाख मानव दिवस देने का लक्ष्य लगभग पूरा होने को है। 3. 24 लाख जाब कार्ड धारक हैं। इसमें से 1. 89 लाख लोगों ने काम मांगा, जिनमें से एक लाख 64 हजार लोग काम करने के लिए पहुंचे। अक्सर देखने में आता है कि लोग जाब कार्ड तो बनवा लेते हैं लेकिन, काम नहीं करते। ऐसे जाब कार्ड को निष्क्रिय मान लिया जाता है।