भगत सिंह ने जलती मोमबत्ती पर हाथ रखकर ली थी देश पर कुर्बान होने की कसम Aligarh news
अलीगढ़ जागरण संवाददाता । परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में जंग-ए-आजादी के महानायक शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह की 114 वीं जयंती मनाई गई। संस्था के सदस्यों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर शहीद भगत सिंह के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता । परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में जंग-ए-आजादी के महानायक शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह की 114 वीं जयंती मनाई गई। संस्था के सदस्यों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर शहीद भगत सिंह के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
किसान परिवार में जन्मे थे भगत सिंह
अध्यक्ष जतन चौधरी ने कहा कि भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत के बंगा नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक किसान परिवार से थे। अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कालेज़ की पढ़ाई छोड़कर भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। उसके बाद वह चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित हुई गदर दल के हिस्सा बन गए। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर सांडर्स को मार गिराया था। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल एसेंबली के सभागार अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। ये देश का दुर्भाग्य ही है कि आजादी के 75 साल बाद भी शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा नही दिलवा पाए, क्योंकि राजनैतिक पार्टियां केवल भगत सिंह के नाम का युवाओं को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए करते थे। भगत सिंह को पूंजीपतियों की मजदूरों के प्रति शोषण की नीति पसंद नहीं आती थी। असेंबली में बम फटने के बाद उन्होंने "इंकलाब-जिंदाबाद, साम्राज्यवाद-मुर्दाबाद" का नारा लगाया। मुकदमें के बाद आखिर भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को शाम को फांसी दे दी गई।
जलती मोमबत्ती पर हाथ रखकर देश के लिए कुर्बान होने की खायी थी कसम
चन्द्रशेखर आजाद से पहली मुलाकात के समय जलती हुई मोमबती पर हाथ रखकर उन्होंने कसम खायी थी कि उनकी जिंदगी देश पर ही कुर्बान होगी और उन्होंने अपनी वह कसम पूरी कर दिखाई। पवन चौधरी व रमेश ठैनुआं ने भी अपने विचार रखे। सभी युवाओं ने भगत सिंह को आदर्श मानकर जीने का संकल्प लिया। इस मौके पर लोकेश वार्ष्णेय, आकाश शर्मा, भोलू, विक्की, लकी, कुश, सूरज, गौरव चौधरी, शिवा, अर्पण, तनुज, शौरभ, अमित, नरेंद्र, प्रवीन, लोकेंद्र, भूरा, आर्यन, सलमान, करन, मनोज, नीरज, कंचन सिंह, अमर सिंह, आदी, गोलू, सतीश, लाला, अर्जुन सिंह, राजन सिंह, वीरेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह आर्य, रमेश चंद्र चौहान, डॉ. नरेंद्र सिंह, गोल्डी, नीटू आदि थे।