World Color TV Day : देखते ही देखते रंगीन हो गया दूरदर्शन... ऐसे थे वो दिन Aligarh News
टेलीविजन टीवी की दुनिया जब रंगीन (कलर) दौर की ओर बढ़ी तो हर आंख टीवी देखने को लालायित हो उठी। पर 1980 के दशक में टीवी बहुत कम लोगों के घरों पर हुआ करती थी।
अलीगढ़ [जेएनएन]: श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) टेलीविजन टीवी की दुनिया जब रंगीन (कलर) दौर की ओर बढ़ी तो हर आंख टीवी देखने को लालायित हो उठी। पर, 1980 के दशक में टीवी बहुत कम लोगों के घरों पर हुआ करती थी। इसे देखने के लिए भीड़ लग जाया करती थी। वो उत्सुकता देखते ही बनती थी। शनिवार को विश्व रंगीन टीवी दिवस है, इससे जुड़ी तमाम यादें जेहन में ताजा हो आईं।
टीवी का बढ़ा क्रेज
25 अप्रैल 1982 को रंगीन प्रसारण
शुरू हुआ। इसके बाद तो टीवी का क्रेज बढऩे लगा। स्वर्ण जयंती नगर निवासी अंगूरी देवी (65) बताती हैं कि उन्हें चित्रहार देखना बहुत अच्छा लगता था। रामायण शुरू हुई तो ऐसा लगा कि मानों मनोकामना ही पूरी हो गई। मुकेश कुमार बताते हैं कि उन्होंने बुनियाद, नुक्कड़ और रामायण जैसे कार्यक्रम रंगीन टीवी पर देखे। इन धारावाहिकों के प्रसारण के दौरान लोग अपने महत्वपूर्ण कार्य तक छोड़ देते थे।
क्या थे वो दिन
मैं उस समय अपने गांव रजाताऊ में रहता था, मेरे गांव में 1990 में कलर टीवी आई थी। पूरे गांव में मानों मजमा लग गया था। बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था।
चौधरी ऋषिपाल सिंह, राजीव नगर
उस समय एंटिना लगाने के लिए डाकघर से 50 रुपये का लाइसेंस बनता था। जिस घर में भी रंगीन टेलीविजन होता था, वहां कार्यक्रम देखने का अलग ही उत्साह होता था।
मुन्नालाल, सराय हकीम
मेरे घर जब रंगीन टेलीविजन पहली बार आया तो मानों जैसे मेला लग गया। लोग टीवी घेरकर बैठ गए। मैंने पूजा की और प्रसाद बांटा। खुशी के मारे पूरा परिवार उत्साहित था।
दर्शन कुमार वाष्र्णेय, कृष्णा टोला
कासिमपुर पावर हाउस में एक ऑपरेटर हाउस हुआ करता था, जहां पूरे मोहल्ले के लोग जाकर टीवी पर धारावाहिक और फिल्में देखा करते थे। तब रंगीन टीवी का क्रेज था।
चरन सिंह, रामबाग कॉलोनी