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Workshop at JNMC : बच्चे के जीवन को दे सकते हैं एक नई दिशा, ऐसे रखें बच्‍चों का ख्‍याल Aligarh News

जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत चल रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर एंड सेंटर आफ एक्सीलेंस में वल्र्ड डाउन सिंड्रोम के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 06:38 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 06:38 PM (IST)
Workshop at JNMC : बच्चे के जीवन को दे सकते हैं एक नई दिशा, ऐसे रखें बच्‍चों का ख्‍याल Aligarh News
वल्र्ड डाउन सिंड्रोम के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत चल रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर एंड सेंटर आफ एक्सीलेंस में वल्र्ड डाउन सिंड्रोम के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें डाउन सिंड्रोम के लक्षण, बचाव और इलाज पर मंथन किया गया । चिकित्सकों ने कहा कि समय पर इलाज होने पर इस बीमारी से बच्चों को काफी हद तक ठीक कर सकते हैं। 

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प्रशिक्षण कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारियों को डाउन सिंड्रोम के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के साथ उनको इस रोग से प्रभावित बच्चों की जांच एवं उपचार प्रबंधन में प्रशिक्षित किया गया। सेंटर में वर्तमान में 119 बच्चों का उपचार चल रहा है जिसमें 45 लड़कियां तथा 74 लड़के शामिल हैं। कार्यशाला में डा. गुलनाज नादरी, डा. मुहम्मद राशिद इकबाल, डा. मुहम्मद नवेद उर रहमान, डा. फिरदौस जहां, नुसरत जहां, अनम खालिद और सुश्री सूबी ने डाउन सिंड्रोम के बारे में बताया कि यह अनुवांशिक जन्म दोषों में से है। जो लगभग 8 सौ या एक हजार बच्चों में किसी एक बच्चे में पाया जाता है। इसकी गंभीरता हर बच्चे में अलग होती है। अधिकतर बच्चे काफी स्वस्थ हो सकते हैं जबकि कुछ बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकास से जुड़ी परेशानियां हो सकती है। 

ये हैं बीमारी के लक्षण 

इसके सामान्य लक्षणों में चपटा चेहरा, आंख की बाहरी सतह का उपर की ओर चढ़ा होना, छोटी गर्दन और छोटे कान, मुह से बाहर निकली रहने वाली जीभ, मासपेशियों में कमजोरी, चौड़े, छोटे हाथ हथेली में एक लकीर का होना, छोटा कद आदि शामिल हैं। वक्ताओं ने कहा कि डाउन सिंड्रोम की बेहतर समझ और शुरूआती हस्तक्षेप बच्चे के जीवन को एक नई दिशा दे सकता है। अभिभावकों के साथ समूह बैठक में मुहम्मद नौशाद ने इस रोग से प्रभावित बच्चों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। जिसका निर्देशन डा. फिरदौस जहां ने किया।

जल्‍दी शुरू करें इलाज

 इससे पूर्व कार्यशाला के शुभारंभ कार्यक्रम में डीईआइसी के मानद् सलाहकार प्रो. तबस्सुम शहाब ने स्वागत भाषण दिया। मुख्य अतिथि जेएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य एवं सीएमएस प्रो. शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि जितनी जल्दी इलाज शुरू करें लाभ भी उतना ही जल्दी होने की उम्मीद होती है। एसीएमओ डा. एसपी सिंह ने डाउन सिंड्रोम पर चर्चा की। डीईआइसी के कनवीनर प्रो. कामरान अफजाल ने आभार जताया। नोडल आफीसर डा. उज़मा फिरदौस, प्रो. सैयद मनाजिर अली, मोहम्मद अहमद और मोहम्मद अनवर सिद्दीकी भी मौजूद रहे।


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