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Workshop at AMU : संयम से पढ़ने की आदत देती है नए विचारों को जन्म Aligarh News

यूरोपीय और अमेरिकी विश्वविद्यालयों और उद्योग के बीच साझेदारी और सहयोग की एक आम परंपरा है। उन्होंने कहा कि उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की परंपरा को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान वातावरण और संरचना की जरूरत है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 01:28 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 01:28 PM (IST)
Workshop at AMU : संयम से पढ़ने की आदत देती है नए विचारों को जन्म Aligarh News
भारत में एक समान वातावरण और संरचना की जरूरत है।

अलीगढ़, जेएनएन। एएमयू के भूगोल विभाग की ओर से सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान पद्धति पर 10 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार को किया गया। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के पूर्व कुलपति प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल ने कहा कि संयम के साथ पढ़ने की आदत नए विचारों और अवधारणाओं को जन्म देती है। ये शोध और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि आप एक अच्छे शिक्षक और शोधकर्ता बनना चाहते हैं तो आपके आंतरिक विद्यार्थी को हमेशा जीवित रहना चाहिए।

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भारत में एक समान वातावरण और संरचना की जरूरत

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि देश को शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों में बेहतर बुनियादी ढांचे और ज्ञान के अनुकूल संस्कृति के विकास की जरूरत है। जिससे भारत अनुसंधान और विकास में विश्व में अग्रणी बन सके। हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और आक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोपीय और अमेरिकी विश्वविद्यालयों और उद्योग के बीच साझेदारी और सहयोग की एक आम परंपरा है। उन्होंने कहा कि उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की परंपरा को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान वातावरण और संरचना की जरूरत है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  पर भी की चर्चा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में अंतःविषय अनुसंधान पर जोर दिया गया है। सह कुलपति प्रो. जहीरुद्दीन ने कहा कि ऐसी कार्यशाला युवा शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी हैं। क्योंकि यह उन्हें आधुनिक अनुसंधान तकनीकियों, सांख्यिकीय संसाधनों और शब्दावली से परिचित होने का मौका देती हैं। विज्ञान संकाय के डीन प्रो. काजी मजहर अली ने प्रो. निजामुद्दीन खान को बधाई देते हुए कहा कि यह कार्यशाला कोविड-19 महामारी से उत्पन्न समस्याओं के बावजूद उनके प्रयासों से आयोजित की गई है। इस दौरान प्रो. सैयद नौशाद अहमद, प्रो. निजामुद्दीन खान, डा. मुमताज अहमद, डा. मोहम्मद तौफीक आदि मौजूद रहे।


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