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Worker Migration: छूटा अपना देश हम फिर परदेशी हो गए...

कोरोना काल में बड़े शहरों से रोजगार व सालों पुराने ठिकाने गंवाकर घर लौटे 63 हजार प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारों ने वादे तो बहुत किए लेकिन जमीन पर कुछ नहीं आया। न तो सरकारी मदद मिली न रोजगार।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 08:42 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 08:42 AM (IST)
Worker Migration: छूटा अपना देश हम फिर परदेशी हो गए...
सरकारों ने वादे तो बहुत किए, लेकिन न तो सरकारी मदद मिली, न रोजगार।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में बड़े शहरों से रोजगार व सालों पुराने ठिकाने गंवाकर घर लौटे 63 हजार प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारों ने वादे तो बहुत किए, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं आया। न तो सरकारी मदद मिली, न रोजगार। कई महीनों के इंतजार के बाद भी कोई सुध लेने नहीं आया तो प्रवासियों ने पलायन का फैसला कर लिया। अब तक 90 फीसद से अधिक मजदूर पुराने ठिकानों पर लौट चुके हैं। जो रह गए हैं, वे बेरोजगार घूम रहे हैं।

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काम धंधे हुए थे बंद
कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद कामकाज व उद्योग धंधे बंद हो गए। दूसरे शहर व राज्यों में काम करने वाले लोग अपने घर लौट आए। सीएम योगी ने सभी मजदूरों को अपने ही जिले में कौशल क्षमता के आधार पर रोजगार देने का वादा किया। इसके लिए डोर टू डोर सर्वे कराया इसमें 63 हजार प्रवासी मजदूर मिले। 12 हजार मजदूर अकुशल थे। जबकि, बाकी के सभी हुनरमंद थे। कोई सुरंग बनाने में माहिर था तो कोई कालीन का कलाकार। करीब 90 श्रेणियों में अलग-अलग हुनरमंद चिन्हित किए गए।
मदद पर खानापूर्ति
 सरकार की घोषणा के बाद श्रमिकों को लगा कि अब उन्हें काम के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। शुरुआत में प्रशासन ने मनरेगा, ओडीओपी, कासिमपुर पावर हाउस समेत अन्य फैक्ट्री व कारखानों में काम दिया। जैसे ही अनलॉक की शुरुआत हुई तो ये काम धंधों से छिटकने लगे। बारिश की शुरुआत होने से मनरेगा में काम बंद हो गए। प्रशासन ने भी लौटकर सुध नहीं ली तो मजदूरों ने अपने पुराने ठिकानों पर लौटना शुरू कर दिया।
नहीं हो रही गुजर
 प्रशासन भले कुछ कहे, लेकिन 90 फीसद से अधिक प्रवासी मजदूर अपने काम पर लौट चुके हैं। कुछ लोग गांव-देहात में मजदूरी कर परिवार को पालने की कोशिश कर रहे हैं। यहां इनका गुजारा करना कठिन हो रहा है। इसलिए वे लौटने की तैयारी में हैैं।
ये कहते हैं आंकड़े
जिले में 13392 इकाइयां हैं। इनमें 91092 मजदूर काम करते हैं। इनमें 90472 मजदूर पहले से काम करते थे, महज 620 नए मजदूर बढ़े हैं।  346 लोगों को निर्माण इकाइयों में काम मिला है।
इस तरह मिले थे मजदूर
सर्वे के दौरान जिले में 63828 श्रमिक मिले। इनमें से 8230 निर्माण कार्य, 5529 रेहड़ी व पटरी लगाने वाले, 4360 सीमेंट, ईंट और कंक्रीट की ढुलाई वाले, 1090 राजमिस्त्री थे। कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स कार्य में कुशल थे। बाकी अकुशल थे।
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मार्च के बाद से मनरेगा में एक भी दिन काम नहीं मिला। पूरे गांव के मजदूर परेशान हैं। परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट है। ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक कई बार शिकायत की, लेकिन काम नहीं मिला।
हरी  सिंह,, मनरेगा मजदूर अकरावत
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प्रधान मजदूरों को काम न देकर मशीनों से काम कराकर फर्जी भुगतान कर रहे हैं। काम न मिलने के कारण मजदूर पलायन को मजबूर हैं। शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है।
साहब राम, मनरेगा मजदूर अकराबाद
 
सेवायोजन विभाग की ओर से जिले में 1600 से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। इसमें अलीगढ़ के साथ ही बाहर ही प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हैं।
अनिल कुमार सिंह, सहायक निदेशक सेवायोजन
 
मनरेगा में इस बार रिकॉर्ड तोड़ काम कराया गया है। शुरुआत के चार महीनों में लक्ष्य के करीब पहुंच गए। इसमें तालाबों, चकरोड के साथ नदियों का भी जीर्णोद्धार हुआ। अब भी मनरेगा में काम दिया जा रहा है।
अनुनय झा, सीडीओ

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