Reality of Mnrega : पांच महीने में 24 दिन ही मिला काम, रोजी रोटी को मोहताज मनरेगा मजदूर Aligarh News
कोरोना संकट काल में बेरोजगार लोगों को रोजी रोटी का संकट दूर करने के लिए मनरेगा में काम देने वाली सरकार की मुहिम लापरवाही की भेंट चढ़ गई है।
अलीगढ़ [सुरजीत पुंढीर]: कोरोना संकट काल में बेरोजगार लोगों को रोजी रोटी का संकट दूर करने के लिए मनरेगा में काम देने वाली सरकार की मुहिम लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। जिले में न तो मजदूरों को भरपूर काम मिल रहा है और न ही समय पर भुगतान हो रहा है। दैनिक जागरण ने मजदूरों के बीच पहुंचकर पड़ताल की तो प्रशासनिक दावों की पोल खुल गई। शहर से सटे लोधा ब्लॉक के देवसैनी गांव में मजदूरों को पिछले पांच महीने में महज २४ दिन का काम मिला है। इसमें भी १२ दिन की ही मजदूरी खाते में नहीं आई है। ३१ मई के बाद मजदूरों को एक भी दिन काम नहीं मिला है। इससे इनके परिवार रोजी रोजी को मोहताल है। यही हाल गंगीरी ब्लॉक के जिजाथल का है। यहां भी मजदूरों को तीन-तीन महीने में सात-आठ दिन ही काम मिला है।
70 हजार को काम का दावा
लॉक डाउन के चलते शहर से लेकर देहात तक कामकाज बंद हो गए हैं। ऐसे में सरकार ने इन दिनों मनरेगा को रोजीण्रेाटी का सबसे बड़ा जरिया बना दिया है। इसी लिए सभी जिलों को अधिक से अधिक काम देने के निर्देश दिए गए है। प्रशासन का दावा है कि जिले में हर दिन करीब ७० हजार मजदूरों को मनेरगा में काम मिल रहा है। 5 हजार लोगों के नए जॉब कार्ड बने हैं। तीन महीने में वित्तीय वर्ष का आधा लक्ष्य पूरा कर लिया गया है।
खुली पोल : लोधा ब्लॉक के देवसैनी गांव में पता चला कि पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में दो सौ के करीब मनरेगा मजदूर हैं। इनमें करीब सवा सौ सक्रिय हैं। पिछले पांच महीने में मजदूरों को २४ दिन काम मिला है। इसमें में भी १२ दिन की मजदूरी खाते में आई है। ३१ मई के बाद गांव में कोई काम नहीं हुआ। लोगों ने आरोप लगाया कि नए जॉब कार्ड के लिए सौ रुपये की वसूली होती है। प्रधान व सचिव मजदूरों को जानबूझ कर काम नहीं देते हैं। मजदूरों को लॉक डाउन में सहायता राशि के एकण्एक हजार भी नहीं मिले। काम न मिलने से मजदूरों के परिवार रोटीण्रोटी को मोहतजा हैं। २०१ रुपये प्रतिदिन मजदूरी में महज १२ दिहाड़ी आई हैं। ऐसे में गांव में पूरे साल में सौ दिन काम भी नहीं मिल पाता है।
महज पांच दिन ही काम मिला
मनरेगा से काम की उम्मीद थी। अभी तक महज १५ण्२० दिन ही काम मिला है। इसमें भी १२ दिन की मजदूरी खाते में आई है। इससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। कई बार कहने के बाद प्रधान व सचिव काम के लिए सुनने को तैयार नहीं है। मुझे मार्च से अब तक महज पांच दिन ही काम मिला है। इसका भुगतान भी अब तक नहीं आया है। इससे परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल है। गांव में अन्य मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है
राजेश कुमार, मजदूर देवसैनी