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नेपाल क्‍यों गई अलीगढ़ की पुलिस, विस्‍तार से जानिए मामला

हर के पॉश बाजार सेंटर प्वाइंट के पास मोबाइल शोरूम में 25 लाख की चोरी में पुलिस को अलीगढ़ या आसपास जिले में कोई सुराग नहीं मिला है। सीसीटीवी में जो लोग कैद हुए उनकी पहचान नहीं हो पाई है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 09:08 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:08 AM (IST)
नेपाल क्‍यों गई अलीगढ़ की पुलिस, विस्‍तार से जानिए मामला
सीसीटीवी में जो लोग कैद हुए, उनकी पहचान नहीं हो पाई है।

अलीगढ़, जेएनएन। शहर के पॉश बाजार सेंटर प्वाइंट के पास मोबाइल शोरूम में 25 लाख की चोरी में पुलिस को अलीगढ़ या आसपास जिले में कोई सुराग नहीं मिला है। सीसीटीवी में जो लोग कैद हुए, उनकी पहचान नहीं हो पाई है। ऐसे में तय है कि वारदात किसी नए गिरोह ने की है। वहीं मेरठ के नौचंदी व छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी बीते साल इसी तर्ज पर चोरियां हुई थीं, जिसे बिहार के गिरोह ने अंजाम दिया था। शातिर नेपाल में मोबाइल बेच देते थे। इसी आधार पर पुलिस की एक टीम नेपाल भेजी गई है।  

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यह है मामला

18 सितंबर को तड़के करीब चार बजे सेंटर प्वॉइंट के पास समद रोड पर मंगलम कॉम्प्लेक्स स्थित मोबाइल शोरूम में चोरी हुई थी। बदमाश सैमसंग, ओपो, एमआइ कंपनी के करीब 88 स्मार्ट फोन ले गए थे, जिनकी कीमत करीब 25 लाख रुपये है। कप्तान ने लापरवाही पर तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। सीसीटीवी फुटेज में एक बदमाश अंदर दिखा है, जो चोरी कर रहा था। जबकि चार-पांच बदमाश बाहर टहलते नजर आ रहे हैं। इनमें से किसी की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस ने सिविल लाइन क्षेत्र के रामघाट रोड, खैर रोड, मथुरा रोड व आगरा रोड तक के सीसीटीवी खंगाले। लेकिन, बदमाशों की पहचान नहीं हो सकी। इंस्पेक्टर सिविल लाइन रवींद्र कुमार दुबे ने बताया कि ये तय है कि घटना को नए गिरोह ने अंजाम दिया है। चोरी हुए मोबाइल अलीगढ़ या आसपास नहीं बेचे गए हैं। मोबाइलों के आइएमईआइ नंबर बदलकर उन्हें नेपाल में बेचा गया है। इसमें बिहार का गिरोह शामिल हो सकता है। चूंकि बीते दिनों इसी तर्ज पर मेरठ, बिलासपुर व बिहार में चोरियां हो चुकी हैं। इसी आधार पर एक टीम नेपाल भेजी गई है। जल्द बदमाशों का सुराग मिलेगा। 

टहलते हुए लोगों ने की थी चोरी 

समद रोड पर मोबाइल शो-रूम में हुई चोरी में बाहर टहल रहे लोगों पर शक जा रहा है। जो सीसीवीटी में कैद हुए हैं। लेकिन, ये लोग किसी भी तरह से ऐसे नहीं दिख रहे कि चोरी करने की नीयत से आए हों। दरअसल, पुलिस को बिहार के जिन गिरोह पर शक है, वो भी इसी तरह चोरियां करवाता है। यह गिरोह अक्सर बाजार या व्यस्तमम इलाकों में चोरी के लिए बच्चों का इस्तेमाल करते थे। फिर मोबाइल के आइएमईआइ नंबर बदलकर नेपाल में बेच देते थे। नेपाल में मोबाइल बेचते ही उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।


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