Online Poet Conference from America: जब काका हाथरसी को उठाकर ले गए थे डाकू
वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने काका के परलोकगमन के समय शवयात्रा ऊंटगाड़ी पर निकालने और रोने के स्थान पर ठहाके लगाने वाले संस्मरण सुनाए।
हाथरस जेएनएन : काका हाथरसी की बात हो और ठहाके न लगें, इसकी संभावनाएं न के बराबर हैं। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को काका कुटुंब की ओर से उनके जन्मोत्सव और पुण्यतिथि पर आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन का था। करीब ढाई घंटे के इस आयोजन में देशभर के नामचीन कवियों ने हिस्सा लिया। काका के संस्मरणों को याद करके खूब हंसे।
रोने के स्थान पर ठहाके
आमतौर पर जब किसी कवि की स्मृति में कोई आयोजन होता है तो कुछ देर के लिए माहौल गमगीन हो जाता है, लेकिन काका हाथरसी की याद में हुए ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कवि खूब ठहाके लगा रहे थे। इसमें दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों से देश के नामचीन कवि इस आयोजन में शामिल हुए। वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने काका के परलोकगमन के समय शवयात्रा ऊंटगाड़ी पर निकालने और रोने के स्थान पर ठहाके लगाने वाले संस्मरण को सुनाया। उन्होंने ऊंटगाड़ी पर काका जी के लाउडस्पीकर पर आजादी के तराने हाथरस में गाने का जिक्र किया। 'उनके द्वारा मार्ग से अब हट गया अंग्रेजो का ठूंठ, आजादी को लादकर लाया मेरा ऊंट', रचना को सराहा गया।
हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने सुनाए संस्मरण
हास्य की दुनिया के जाने-माने कवि सुरेंद्र शर्मा ने काका के संस्मरणों का याद कर सभी को लोट-पोट कर दिया। उन्होंने बाल कवि वैरागी के साथ के उस घटना का जिक्र भी किया जब काका को डाकू उठाकर ले गए थे। उन्होंने बताया कि मुरैना के एक कवि सम्मेलन में काका हाथरसी और बालकवि बैरागी सम्मिलित होने गए थे। कवि सम्मेलन के खत्म होने के बाद वहां कुछ डाकू आए और दोनों का अपहरण कर, आंख पर पट्टी बांध अपने अड्डे पर ले गए, तो काका बोले कि ऐसे कहां ले जा रहे हो, पहले पेमेंट की बात तो कर लो। तब बाल कवि वैरागी ने काका को बताया कि उन्हें असली डाकू उठाकर ले जा रहे हैं। बाद में डाकुओं ने दोनों ही हास्य कवियों से कहा, 'हमारे साथियों को कविताएं सुनाइए।' उसके बाद काका हाथरसी और बालकवि बैरागी ने अपनी कविताएं वहां सुनाईं। डाकुओं ने उन्हें 100 रुपये भी दिए। इसके साथ ही उन्होंने एक और घटना का जिक्र किया, जहां गांव में कवि सम्मेलन के लिए गए काका के सामने सांप आ गया था और उनके चेहरे का रंग उड़ गया था। दोनों ही किस्सों को सुनकर सभी खूब हंसे। इसके साथ साथ अरुण जैमिनी, मंजीत सिंह, चिराग जैन ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट किया। कवि सम्मेलन का संयोजन काका के पौत्र अशोक गर्ग ने अमेरिका से किया।