पश्चिम बंगाल की मिलकर लड़ेंगे लड़ाई, भाजपा ने बनाई रणनीति Aligarh news
भले ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आ गई हो और ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गई हों मगर भाजपा हतोत्साहित नहीं है। पार्टी अब निर्णायक लड़ाई की भूमिका में है। पार्टी यूपी के प्रत्येक जिले में टीम गठित कर रही है।
अलीगढ़, जेएनएन । भले ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आ गई हो और ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गई हों, मगर भाजपा हतोत्साहित नहीं है। पार्टी अब निर्णायक लड़ाई की भूमिका में है। पार्टी यूपी के प्रत्येक जिले में टीम गठित कर रही है। इसमें बुद्धजीवी वर्ग को जोड़ेगी, जो इस लड़ाई को धार देंगे। बुद्धीजीवी वर्ग के साथ जनआंदोलन छेड़ने की तैयारी है, जिससे पश्चिम बंगाल का नया इतिहास लिखा जा सके।
भाजपा का सपना चकनाचूर
भाजपा ने पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले जो जमीन तैयार की थी, उससे उम्मीद थी कि इस बार भाजपा की सरकार बनेगी। मगर, ममता बनर्जी का जादू चला और भाजपा का सपना चकनाचूर हो गया। हालांकि, चुनाव के बाद से जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल में अराजकता शुरू हो गई और हिंदुओं के साथ अत्याचार शुरू हो गया, उससे एक बार फिर बंगाल कांप उठा है। हिंदू वहां पर भयभीत है। उसे दुर्गा पूजा, काली पूजा आदि उत्सव का फिर से डर सताने लगा है। क्योंकि ममता सरकार में इन कार्यक्रमों को कर पाना मुश्किल होता रहा है। ऐसे में आगामी दिनों में भी यही स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसको देखकर भाजपा ने एक बार फिर रणनीति बना रही है। भाजपा बंगाल की माटी की खुशबू काे जानती है। यहां की माटी से रामकृष्ण परमहंस, रविंद्र नाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानंद, अरविंद घोष, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस, बंकिमचंद्र चटर्जी जैसी महान विभूतियां निकल चुकी हैं। इन्होंने पश्चिम बंगाल को एक नई पहचान दी है। साहित्य, अध्यात्म में पश्चिम बंगाल को रंग दिया। क्रांतिकारियों में अग्रणी भूमिका निभाई है। मगर, ममता बजर्नी के 10 साल के कार्यकाल में सब गर्त में जाता रहा है। रविंद्र नाथ टैगोर का कभी नाम नहीं आया, सुभाष चंद्र बोस के नारे नहीं लगे। क्योंकि ममता को पता है कि इनके लगाने से उन्हें वोट नहीं मिलता।
पूरे देश में चलेगा जनआंदोलन
पश्चिम बंगाल की लड़ाई सिर्फ भाजपा की नहीं है। यह पूरे देश की अस्मिता का सवाल है। पश्चिम बंगाल यदि हाथ से गया तो देश के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। इसलिए भाजपा इसे जनआंदोलन बनाने की तैयारी में है। देश में सभी प्रदेशों में इकाइयां गठित की जाएंगी। इसमें बुद्धजीवि वर्ग, डाक्टर, इंजीनियर, साहित्यकार, कवि, लेखक, शिक्षक और व्यवसायी आदि होंंगे। इन्हें पश्चिम बंगाल की हकीकत से रुबरु कराया जाएगा। बताया जाएगा कि किस प्रकार से पश्चिम बंगाल विगत वषो से धधक रहा है। यहां के लोग खतरे में हैं। पश्चिम बंगाल की सभ्यता संस्कृति को समाप्त किया जा रहा है। यदि आज बंगाल के लिए एक साथ देश नहीं खड़ा हुआ तो बंगाल हाथ से निकल जाएगा। इसलिए देश में गोष्ठी, बैठकें चर्चाएं आदि कार्यक्रम होंगे। लोगों को यह बताया जाएगा कि हमें एकजुट होकर लड़ना होगा और पश्चिम बंगाल के गौरव को पुन: वापस लौटना होगा।
युवाओं की भी होगी सहभागिता
भाजपा युवाओं को भी इसमें साथ लेगी। क्योंकि आने वाली पीढ़ी पश्चिम बंगाल की संस्कृति और सभ्यता से वाकिफ नहीं है। वो पश्चिम बंगाल की धरोहरों के बारे में नहीं जानती है। जो कोलकता कभी आर्थिक राजधानी के रुप में हुआ करता था आज वो रक्तरंजित है। इसलिए उसे बचाने की जरूरत है। भाजपा का मानना है कि युवा यदि साथ होगा तो एक नई पीढ़ी का बदलाव आएगा। वो अपने साथियों को भी बता सकेंगे कि पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? किस तरह से वहां की सभ्यता और संस्कृति को छिन्न-भिन्न किया जा रहा है।
व्यापक है तैयारी
भाजपा की इस बार व्यापक तैयारी है। इसलिए चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को प्रदेश का प्रभारी बनाया जा सकता है। वो पश्चिम बंगाल में जाकर महिलाओं के साथ अपनी आवाज को बुलंद करेंगी। महिलाओं को जागरूक करेंगी, क्योंकि चर्चा है कि चुनाव में महिलाओं की सहभागिता नहीं हो पाई थी। इसलिए भाजपा अभी से संघर्ष की जमीन तैयार करने में जुट गई है।