फसलों के लिए मुफीद है मौसम, अच्छी पैदावार की उम्मीद Aligarh news
सर्दी ने आम लोगाें की तकलीफें भले ही बढ़ा दी हों लेकिन रबी सीजन की फसलों के लिए ये मौसम मुफीद है। खासकर गेहूं के लिए सर्द मौसम बेहतर माना जाता है। ऐसे मौसम में जमीन में नमी बनी रहती है। जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है।
अलीगढ़, जेएनएन : सर्दी ने आम लोगाें की तकलीफें भले ही बढ़ा दी हों, लेकिन रबी सीजन की फसलों के लिए ये मौसम मुफीद है। खासकर गेहूं के लिए सर्द मौसम बेहतर माना जाता है। ऐसे मौसम में जमीन में नमी बनी रहती है। जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है। खिली हुई धूप पौधों को ऊर्जा देती है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस मौसम में तीन घंटे की धूप भी पौधों को मिल जाए तो पर्याप्त है।
अभी हल्की ठंड है
उप कृषि निदेशक (शोध) डाॅ. वीके सचान बताते हैं कि इस समय हल्की ठंड है। किसानों को ऐसे मौसम में ही रबी की बाेआई करनी चाहिए। जनपद में अनाज, तिलहन, दलहन की 90 फीसद बोआई हो चुकी है। खरीफ फसलों की कटाई में देरी के चलते कुछ इलाकों में रबी फसलों की बोआई अब भी जारी है। बोआई के लिए 15 नवंबर तक उचित समय होता है। किसान गेहूं और सरसों पर अधिक जोर रहे हैं। दोनों फसलों के इस बार भाव अच्छे मिल गए थे। किसानों सरकारी क्रय केंद्रों पर 1925 रुपये प्रति कुंतल समर्थन मूल्य में गेहूं बेचा। वहीं, मंडियों में सरसों का भाव 3500 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया। 102500 मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 108564 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। 105.42 फीसद वृद्धि दर्ज की गई। फरवरी-मार्च में हुई बारिश में फसल बर्बाद होने से परेशान किसानों को उचित कीमत मिलने से राहत मिली थी। इस बार रबी का रकबा भी 257241 हेक्टेयर है, जो पिछले साल से अधिक है।
मौसम ऐसा ही रहा तो पैदावार अच्छी होगी
उप कृषि निदेशक बताते हैं कि मौसम ऐसा ही बना रहा तो पैदावार अच्छी होगी। लागत भी कम आएगी। मिट्टी में नमी रहने से सिंचाई का खर्चा बचेगा, उर्वरकों का कम उपयोग होगा। लेकिन, बारिश होने से नुकसान हो सकता है। क्योंकि बोआई के बाद बारिश होने से मिट्टी नम हो जाती है। अगले दिन धूप निकलती है तो जमीन पर पपड़ी जमने लगती है, जिससे अंकुर नहीं फूटता। हालांकि, बारिश के अासार नहीं है। पौध होने के बाद अगर हल्की बारिश होती है, तो भी नुकसान नहीं है। तब तक मिट्टी में जड़ जम चुकी होती है। किसानाें को वाट्सएप ग्रुप व किसान मित्रों के जरिए बदलते मौसम में फसलों की देखभाल से संबंधित सलाह समय-समय पर दी जा रही है।