बहुत मंगलकारी और पुण्यफलदायक है विष्णु पंचक व्रत : स्वामी पूर्णानंदपुरी Aligarh news
सनातन धर्म में विष्णु पंचक का बहुत महत्त्व है। विष्णु पंचक को भीष्म पंचक के नाम से भी जानते है क्योंकि भीष्म पितामह ने इन पांच दिनों में पांडवों को ज्ञान दिया था। कार्तिक महीने में स्नान करने वाले इस व्रत को जरूर करते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन : सनातन धर्म में विष्णु पंचक का बहुत महत्त्व है। विष्णु पंचक को भीष्म पंचक के नाम से भी जानते है, क्योंकि भीष्म पितामह ने इन पांच दिनों में पांडवों को ज्ञान दिया था। कार्तिक महीने में स्नान करने वाले इस व्रत को जरूर करते हैं। यह व्रत बहुत कल्याणकारी हैं। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंद पुरी के अनुसार भीष्म पंचक कार्तिक महीने में देवोत्थान एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह 25 नवंबर से 30 नवंबर तक है। यह व्रत न केवल पहले किए गए संचित पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि कल्याणकारी भी होता है। भीष्म पंचक व्रत बहुत मंगलकारी और पुण्यफलदायक माना जाता है। जो भी भक्त इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के पश्चात् मोक्ष तथा उत्तम गति की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने वाला सदैव स्वस्थ रहता है तथा प्रभु की कृपा उस पर बनी रहती ।
भीष्म पितामह दे दिया था पांडवों को ज्ञान
स्वामी पूर्णानंद पुरी ने बताया कि जब महाभारत में पांडवों की जीत के बाद श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर भीष्म पितामह के पास गए ताकि पितामह उन्हें कुछ ज्ञान दे सकें। सूर्य के उत्तराय़ण होने की प्रतीक्षा में शैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह से श्रीकृष्ण ने पांडवों को ज्ञान देने का अनुरोध किया। भीष्म ने कृष्ण की बात मान कर पांडवों को वर्ण धर्म, मोक्ष धर्म और राज धर्म के बारे में ज्ञान दिया। भीष्म ने यह ज्ञान पांडवों को पांच दिनों तक दिया। ऐसा माना जाता है कि ये पांच दिन भीष्म पंचक के ही थे जो एकादशी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने कहा कि आज से भीष्म पंचक के यह पांच दिन लोगों के लिए बहुत मंगलकारी होंगे और आने वाले दिनों में इन्हें भीष्म पंचक के नाम से जाना जाएगा। भीष्म पंचक बहुत पवित्र होता है। इस दौरान अन्न ग्रहण न करें। फल-फूल दूध और दही का सेवन करें। पंचगव्य भी थोड़ी मात्रा में ग्रहण करें। इसके अलावा नहाने के पानी में थोड़ी मात्रा में गोक्षरण डालें फिर पवित्रता पूर्वक स्नान करें।इन पांच दिनों में सूर्योदय से पूर्व जो स्नान करता है उसे पूरे महीने का स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।
पांच दिन होती है पूजा
पूजा के विषय में बताते हुए स्वामी पूर्णानंद पुरी ने कहा कि भीष्म पंचक के पांच दिनों में विशेष प्रकार की पूजा होती है। भीष्म पंचक व्रत में चार द्वार वाला एक मण्डप बनाया जाता है। मंडप को गाय के गोबर से लीप कर बीच में एक वेदी बनाएं। वेदी पर ध्यान देकर तिल रख कर कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है। इस व्रत के दौरान कार्तिक शुक्ल की एकादशी से लेकर कार्तिक की पूर्णिमा तिथि तक घी के दीपक जलाए जाते हैं। जो भीष्म पंचक व्रत करते है उन्हें पांच दिनों तक सात्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए। गाय,ब्राह्मण,माता-पिता आदि का स्वप्न में भी अपमान करने से बचें,तुलसी की नित्य अर्चा करें।