विहिप नेता पर नौकरी दिलाने के नाम पर 1.20 लाख ठगने का आरोप Aligarh News
उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के बन्नादेवी क्षेत्र के खैर राेड स्थित एक एनजीओ कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ ।
By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 11:57 AM (IST)
अलीगढ़ जेएनएन : उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के बन्नादेवी क्षेत्र के खैर राेड स्थित एक एनजीओ कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ । आरोप है कि एनजीओ संचालक व कथित विहिप नेता ने नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक युवक से 1.20 लाख रुपये ठग लिए । खबर पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों को थाने ले आयी। जहां से कथित विहिप नेता चुपके से खिसक गया। पीड़ित पक्ष ने थाने में तहरीर दी है, हालांकि देर रात तक मामले में समझौते के भी प्रयास जारी थे ।
यह है मामला
गभाना तहसील क्षेत्र के गांव बरौठ छजमल निवासी चंद्रप्रकाश शर्मा पुत्र मूलचंद शर्मा का आरोप है कि खैर रोड स्थित शोध संस्थान एनजीओ चलाने वाले देहलीगेट क्षेत्र के रहने वाले मुनेश चौहान व खुद को विहिप नेता व मंडल प्रभारी बताने वाले धर्मा भैया ने संस्था में डीसी पद पर नौकरी दिलवाने के नाम पर उनसे 1.20 लाख रुपये ले लिए थे । आरोप है कि उन्हें नौकरी नहीं दी गई। जिस पर नौकरी के लिए दी गई रकम को मांगा तो वे टाल-मटोल करने लगे। गुरुवार को चंद्रप्रकाश अपने पिता व अन्य लोगों को लेकर एनजीओ दफ्तर में आ पहुंचे। उन्होंने एनजीओ संचालक मुनेश चौहान व धर्मा भैया से नौकरी को दिए रुपये वापस मांगे । आरोप है कि दोनों रुपये देने से आना-कानी करने लगे। इसको लेकर वहां हंगामा होने लगा।पीड़ित पक्ष ने फोन कर यूपी 112 पीआरवी को बुला लिया। मामला बिगड़ता देख पीआरवी कर्मी दाेनाें पक्षों को थाने ले गए। थाने में भी दोनों पक्षों में बातचीत चलने लगी। इसी बीच कथित विहिप नेता धर्मा भैया चुपके से गायब हो गया । इस संबंध में थाने के एसएसआइ नरेंद्र सिंह ने बताया कि पीड़ित चंद्रप्रकाश ने मुनेश चौहान व धर्मा भैया के खिलाफ तहरीर दी है, जांच की जा रही है । हालांकि दोनों पक्ष रात साढ़े दस बजे तक थाने पर मौजूद हैं और उनमें समझौते के प्रयास जारी हैं ।
2015 में ही धर्मा भैया को संगठन से निष्कासित कर दिया गया था। वर्तमान में इन पर कोई पद व दायित्व नहीं है।
- योगेश, प्रदेश उपाध्यक्ष विहिप
मैं विहिप का जिला मंत्री रह चुका हूं। वर्तमान में रामकुमार आर्य के बाद विभाग संयोजक का कार्यभार देख रहे हैं। एनजीओ से उनका कोई लेना-देना नहीं हैं। वे तो खुद दोनों पक्षों में हो रहे विवाद का निपटारा कराने गए थे। पुलिस गलतफहमी में उन्हें भी थाने ले गई थी। जहां से वह अपने घर चले आए।
- धर्मा भैया
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