अखंड सौभाग्य का प्रतीक है वट वृक्ष, जानिए पूरी कहानी Aligarh news
प्रकृति ने हमें बहुत नियामतें दी हैं उन्हीं में एक है वट वृक्ष। इसकी धार्मिक मान्यताएं भी हैं। कहते हैं कि वट वृक्ष की छाल में विष्णु और जड़ों में ब्रह्मा का वास होता है। शाखाओं में स्वयं भोलेनाथ समाए हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । प्रकृति ने हमें बहुत नियामतें दी हैं, उन्हीं में एक है वट वृक्ष। इसकी धार्मिक मान्यताएं भी हैं। कहते हैं कि वट वृक्ष की छाल में विष्णु और जड़ों में ब्रह्मा का वास होता है। शाखाओं में स्वयं भोलेनाथ समाए हैं। सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे बैठकर घोर तपस्या की थी और पति को जीवित किया। वट वृक्ष की विशालता और आयु दीर्घता के कारण ही इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं ज्येष्ट मास की अमावस्या को सावित्री व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। दैनिक जागरण ने 10 जून को सावित्री व्रत के दिन सुहागिनों से वट का एक पौधा लगाने की अपील की है। जागरण की इस मुहिम से हर तबका जुड़ रहा है। लोग इस मुहिम को सराह रहे हैं और वट का पौधा लगाने का संकल्प भी ले रहे हैं।
वट वृक्ष का समझें महत्व
शिक्षिका कीर्ति शर्मा कहती हैं कि वट पूजन की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। हर सुहागिन इस दिन की प्रतिक्षा करती है। वट वृक्ष अब कम हो गए हैं। इसीलिए जरूरी है कि वट वृक्ष के महत्व काे समझ कर प्रत्येक परिवार एक पौधा जरूर लगाए। दैनिक जागरण की यह मुहिम सराहनीय है। इस मुहिम से सभी को जुड़ना चाहिए।
वट वृक्षों का हो संरक्षण
शिक्षिका रश्मि उपाध्याय बताती हैं कि वट वृक्ष की काफी मान्यता है। इस वृक्ष का संरक्षण करना चाहिए। यह वृक्ष अपनी छाया से शीतलता प्रदान करते हैं।ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जाए। वट के नए पौधे लगाए जाएं। दैनिक जागरण ने सराहनीय पहल की है। इस मुहिम में मेरा पूरा सहयोग रहेगा।