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वाषिकोत्सव से मिलती है स्वयंसेवकों को आगे बढ़ने की प्रेरणा Aligarh news

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल में छह उत्सव मनाता है। इस उत्सव के माध्यम से संघ समाज को जोड़ने का काम करता है। इसी के साथ संघ शाखाओं का वार्षिकोत्सव भी मनाता है। इसके माध्यम से स्वयंसेवकों को हर क्षेत्र में परिपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 03:47 PM (IST)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल में छह उत्सव मनाता है।

अलीगढ़, जेएनएन : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल में छह उत्सव मनाता है। इस उत्सव के माध्यम से संघ समाज को जोड़ने का काम करता है। इसी के साथ संघ शाखाओं का वार्षिकोत्सव भी मनाता है। इसके माध्यम से स्वयंसेवकों को हर क्षेत्र में परिपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता है। वार्षिकोत्सव में संघ के विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। यह कार्यक्रम स्वयंसेवकों को दक्ष बनाने का कार्य करते हैं। संघ स्थान कार्यक्रम से तो निपुणता आती है, पूरे कार्यक्रम के संचालन से आत्मविश्वास भी जगता है। इसलिए गर्मी के दिनों में वार्षिकोत्सव अनिवार्य होता है।

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जिले में आरएसएस की 150 से अधिक शाखाएं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जिले में 150 से अधिक शाखाएं हैं। एक घंटे की इन शाखाओं में विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। योग-व्यायाम, खेलकूद, गीत, बौद्धिक, प्रेरक प्रसंग और सुभाषित आदि विशेष हैं। इन्हें अलग-अलग समय में विभाजित किया जाता है। सालभर इसी तरह शाखाओं पर कार्यक्रम से स्वयंसेवकों के अंदर परिपक्वता आती है। इसलिए संघ इसपर विशेष जोर देता है। संघ के प्रचार प्रमुख भूपेंद्र शर्मा का कहना है? कि अभी हाल में सिंघारपुर में स्थित शाखा के वार्षिकोत्सव में संघ के अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख का सानिध्य मिला, जो स्वयंसवेकों के उत्साह बढ़ाने वाला है। उन्होंने शाखा पर हुए कार्यक्रमों की तारीफ की। पाथेय भी दिया। कहा, राष्ट्र निर्माण में स्वयंसेवकों का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए उन्हें वार्षिकोत्सव में सीखने की जरूरत है। एक विशाल कार्यक्रम को कैसे गाइड किया जाता है? उसका संचालन कैसे किया जाता है, उसके बारे में जानकारी मिलती है। चूंकि वार्षिकोत्सव में कोई न कोई बड़ा अधिकारी आता है, इससे स्वयंवेवकों में आत्मनिर्भरता आती है। भूपेंद्र शर्मा ने कहा कि इस बार महानगर में वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही है। स्वयंसेवकों को सूचना दे दी गई है। शाखा में प्रत्येक दिन योग-व्यायाम, आसन, दंड संचालन, नियुद्ध आदि का अभ्यास चल रहा है। घोष का अभ्यास भी हो रहा है। इसलिए तिथि घोषित होते ही कार्यक्रम शुरू करा दिया जाएगा। 

आगे बढ़ने की मिलती है प्रेरणा

आरएसएस के विभाग कार्यवाह योगेंद्र आर्य का कहना है कि वाषिकोत्सव से स्वयंसेवकों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। स्वयंसेवक के हाथ में कार्यक्रम की पूरी कमान होती है। वह एक साथ 100 से अधिक कार्यक्रम को संचालित करता है। उसके एक आदेश पर पूरे कार्यक्रम संचालित होते हैं और स्वयंसेवक आज्ञा का पालन करते हैं। बड़े अधिकारी भी मौजूद होते हैं। ऐसे में स्वयंसेवक के अंदर शारीरिक और मानसिक दोनों विकास होता है। इसलिए शाखाओं का वार्षिकोत्सव बहुत जरूरी है। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से शाखा पर तैयारी करने को कहा, जिससे अच्छे से कार्यक्रम हो सके।


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