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राजकीय कालेजों के संचालन में फेल हो गई यूपी सरकार : डा. रक्षपाल Aligarh News

उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से दो निर्मित व 72 निर्माणधीन राजकीय महाविद्यालयों का संचालन प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की कार्य परिष्दों के हवाले करने का फैसला किया गया है। एक ओर से फैसला योगी सरकार की अक्षमता का द्योतक है

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 05:54 PM (IST)
राजकीय कालेजों के संचालन में फेल हो गई यूपी सरकार : डा. रक्षपाल Aligarh News
गिरावट को रोकने में फेल रही योगी सरकार

अलीगढ़, जेएनएन। उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से दो निर्मित व 72 निर्माणधीन राजकीय महाविद्यालयों का संचालन प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की कार्य परिष्दों के हवाले करने का फैसला किया गया है। एक ओर से फैसला योगी सरकार की अक्षमता का द्योतक है वहीं दूसरी ओर इन महाविद्यालयों के आस-पास की जनता के साथ विश्वासघात है। ये कहना है आगरा यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (औटा) के पूर्व अध्यक्ष व शिक्षाविद् डा. रक्षपाल सिंह का। उन्होंने कहा कि किसी एक व्यवस्था का दूसरी बेहतर व्यवस्था में परिवर्तन बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए। अगर दूसरी व्यवस्था पहले से ही खामियों से ग्रस्त हो तो ऐसे परिवर्तन से आसमान से गिरे खजूर में अटके वाली कहावत ही चरितार्थ होती है। 

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गिरावट को रोकने में फेल रही योगी सरकार

डा. सिंह ने कहा कि 21वीं सदी में यूपी में रहीं राज्य सरकारों के कार्यकाल में राजकीय महाविद्यालयों के पठन-पाठन में गिरावट का दौर रहा है। गिरावट को रोकने में फेल रही योगी सरकार इन  महाविद्यालयों को अब विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व कार्य प्ररिषदों को सौंपने जा रही है। जिनके पास  इन महाविद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारियो की भर्तियां करने का भी अधिकार रहेगा। साथ ही स्ववित्त स्कीम के तहत इन कालेजों का संचालन होगा। मगर प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषदों की संचालन व्यवस्था पर कुलपति के हावी रहने के कारण परिषदों के निर्णयों पर उन्हीं का एकाधिकार रहता है। उनकी मनमानी के कारण अधिकांश विश्वविद्यालयों के पीजी विभागों में भी पढ़ाई का गुणवत्तापरक वातावरण सृजित नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में एक ओर जहां प्रदेश के 74 राजकीय कालेजों का संचालन विश्वविद्यालयों के हवाले करने से उनके बेहतर संचालन की उम्मीद बेइमानी होगी। वहीं दूसरी ओर इन कालेजों में संविदा पर शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्तियों के अधिकार प्राचार्य तथा कुलपतियों पर होने से भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा। 

विश्वविद्यालयों की नियुक्तियां हमेशा ही आरोपों के घेरे में 

बीते समय में विश्वविद्यालयों की नियुक्तियां हमेशा ही आरोपों के घेरे में रही हैं। विगत समय में विश्विद्यालयों में होने वाली नियुक्तियां सदैव गम्भीर आरोपों के घेरे में रहीं हैं। कई कुलपतियों पर कठोर कार्रवाई भी हुई हैं । यूपी सरकार का उक्त निर्णय न तो राज्य सरकार की छवि व राजकीय महाविद्यालयों के हित में है और न वहां की क्षेत्रीय जनता के बच्चों की उच्च शिक्षा के हित में है। 


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