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रामवीर उपाध्‍याय को भाजपा का तोहफा, ऐसे मिली सादाबाद से टिकट, जानें विस्‍तार से

UP Assembly Elections 2022 यूपी के विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को नया मोड़़ आ गया। बसपा से इस्‍तीफा देने के बाद रामवीर सिर्फ एक सप्‍ताह पहले भाजपा में शामिल हुए थे। हाथरस से भाजपा ने प्रत्‍याशियों की घोषणा कर दी है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 08:06 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 08:06 PM (IST)
रामवीर उपाध्‍याय को भाजपा का तोहफा, ऐसे मिली सादाबाद से टिकट, जानें विस्‍तार से
UP Assembly Elections 2022: बसपा से पांच बार रहे विधायक रामवीर उपाध्‍याय को तोहफा दिया है।

हाथरस, जागरण संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी ने बसपा से पांच बार रहे विधायक रामवीर उपाध्‍याय को तोहफा दिया है। बसपा से इस्‍तीफा देने के बाद रामवीर उपाध्‍याय सिर्फ एक सप्‍ताह पहले भाजपा में शामिल हुए थे। इन्‍हें दूसरे चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव में हाथरस के सादाबाद से प्रत्‍याशी बनाने की घोषणा की गई है। भाजपा ने तीनों सीटों पर प्रत्याशी को घोषणा कर दी है। हाथरस सदर से अंजुला माहौर, सादाबाद से रामवीर उपाध्याय और सिकंदराराऊ से मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह राणा को प्रत्याशी बनाया है।

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रामवीर 25 वर्ष तक बसपा में रहे

हाथरस : भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजतनीति की शुरुआत करने वाले रामवीर उपाध्याय ने करीब तीन दशक पहले टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। 25 वर्ष बसपा में सफर के बाद उनकी शनिवार को भाजपा में घर वापस हो जाएगी। बसपा में रामवीर उपाध्याय कद्दावर नेता थे और उन्होंने कई बार मंत्री और अन्य पदों पर रहकर राजनीति के अर्श को छुआ। हाथरस की राजनीति में रामवीर का नाम बड़े नेता के रूप में हमेशा से रहा है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान रामवीर उपाध्याय भाजपा में थे। उभरते हुए नेता के रूप में उन्होंने वर्ष 1993 में हाथरस सदर सीट से भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी की, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी। राजवीर पहलवान को प्रत्याशी बनाया था। रामवीर उपाध्याय निर्दलीय मैदान में उतरे थे, और चुनाव हार गए थे। इसके बाद वह 1996 में बसपा में शामिल हुए और हाथरस सदर सीट से चुनाव लड़े। भारी बहुमत से चुनाव जीतकर वह विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़क नहीं देखा। वर्ष 2002 और 2007 में में हाथरस सदर, वर्ष 2012 में सिकंदराराऊ और 2017 से वह सादाबाद से विधायक बने। इस बीच वह ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा शिक्षा, समेत कई अहम विभागों के मंत्री रहे। बसपा ने उन्हें लोक लेखा समिति के सभापति भी बनाया। विधानमंडल दल में मुख्य सचेतक भी रामवीर रहे।


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