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जेएन मेडिकल कॉलेज से दो डॉक्टर हटाए, हाथरस कांड में एक ने दिया था बयान

सीबीआइ के जेन मेडिकल कॉलेज जाने के बाद बड़ी कार्रवाई हुई है। लीव वकेंसी पर कार्यरत दो डॉक्टर हटा दिए गए हैं। इनमें से एक ने हाथरस कांड में बयान दिया था। सीबीआइ सोमवार को गई थी। पिछसे एक सप्ताह से सीबीआइ हाथरस कांड की जांच में लगी है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:38 PM (IST)
जेएन मेडिकल कॉलेज से दो डॉक्टर हटाए, हाथरस कांड में एक ने दिया था बयान
अलीगढ़ का जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

अलीगढ़ (जेएनएन)।   अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में लीव वेकेंसी पर कार्यरत दो डॉक्टरों को हटा दिया है। एएमयू प्रशासन ने ये कार्रवाई ऐसे समय की है जब हाथरस में युवती की हत्या के मामले में सीबीआइ जांच के लिए सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। इनमें से एक डॉक्टर ने युवती के मेडिकल रिपोर्ट के बारे में मीडिया को बयान दिया था। इसके बाद ये चर्चाओं में थे। 

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ये हटाए गए 

हटाए गए डॉक्टरों में डॉ. उबैद और डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक शामिल हैं। पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में कई डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए जाने पर छुट्टी पर चले गए थे। ऐसे डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए इंतजामिया ने लीव वेकेंसी पर डॉक्टरों की नियुक्ति की थी। इनमें डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक और डॉ. उबैद को कैज्युअलटी मेडिकल ऑफीसर के पद नियुक्त किया था। डॉ. मलिक पिछले दिनों उस समय चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने हाथरस प्रकरण में मेडिकल रिपोर्ट को लेकर मीडिया में बयान दिया था। उसके बाद से ही उनकी सेवा समाप्त करने की चर्चा तेजी से शुरू हो गई थी।

गई थी सीबीआइ टीम 

मंगलवार को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी एंड ट्रामा सेंटर के सीएमओ इन चार्ज डॉ. एसएएच जैदी ने नोटिस जारी कर उनकी सेवा खत्म कर दी। जिसमें कुलपति प्रो. तारिक मंसूर से टेलीफोन पर ही बातचीत का हवाला दिया गया। दोनों डॉक्टरों की सेवा समाप्त करने की खबर भी तेजी से फैल गई। चर्चा होने लगी कि हाथरस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। इसके बाद ही इंतजामिया ने ये कार्रवाई की है।

सीबीआइ ने पूछताछ नहीं की : डॉ. मलिक

डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने मीडिया को बताया कि सीएमओ इंचार्ज ने फोन कर ड्यूटी न करने की बात कही है। नियुक्ति रद करने संबंधी नोटिस भी उन्होंने दिया है। हम परमानेंट नहीं थे। हमारी नियुक्ति लीव वेकेंसी पर थी। डॉक्टर व सीएमओ को कोविड होने पर हमारी नियुक्ति की गई थी। सीबीआइ ने हमसे कोई पूछताछ नहीं की। हो सकता है सीबीआइ के आने के बाद इंतजामिया ने ये कदम उठाया हो। वैसे हाथरस प्रकरण को लेकर एक डॉक्टर के नाते मैंने अपनी राय दी थी। अपनी मांग को लेकर एक ज्ञापन कुलपति के नाम भेजा है। देखते हैं वो क्या निर्णय लेते हैं?

निलंबन नहीं, नियुक्ति रद की है 

एएमयू के प्रवक्ता प्रो. शाफे किदवई ने बताया कि दोनों डॉक्टर लीव वेकेंसी पर कार्यरत थे। संबंधित डॉक्टर की लीव वेकेंसी खत्म होने पर उक्त डॉक्टरों से अब सेवा नहीं ली जा रही। ये नियमित डॉक्टर नहीं हैं इसलिए इनकी नियुक्ति रद की गई है। निलंबित नहीं किया गया। कुलपति ने कहा है कि सीएमओ इंचार्ज अगर डॉक्टरों को फिर से लीव वेंकेंसी पर रखने के लिए उनके नाम प्रस्तावित करते हैं तो विचार किया जाएगा।


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