एक सीट पर बीस दावेदार, सबको मिली घुट्टी, अगली बार टिकट एकदम पक्का है
नेताओं के लिए चुनाव किसी पद-प्रतिष्ठा से कम नहीं होता है। इसलिए वो टिकट से लेकर चुनाव जीतने तक अपना सर्वस्य लगा देते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ। सभी दलों में टिकट के दावेदारों की भरमार थी।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। नेताओं के लिए चुनाव किसी पद-प्रतिष्ठा से कम नहीं होता है। इसलिए वो टिकट से लेकर चुनाव जीतने तक अपना सर्वस्य लगा देते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ। सभी दलों में टिकट के दावेदारों की भरमार थी। एक-एक सीट पर 20 दावेदार थे। इनमें से किसी एक को टिकट मिलना होता है। इसलिए राजनीतिक दलों के नेताओं को भी टिकट बांटना किसी चुनाैती से कम नहीं था। चुनाव के समय वो नाराज भी नहीं कर सकते थे। मगर, सभी को खुश भी नहीं किया जा सकता था। ऐसे में टिकट की घोषणा हुई तो सैकड़ों दावेदारों के सपने चकनाचूर हो गए। कुछ दावेदार तो इतने सन्नाटे में आ गए कि मानों उनका सबकुछ लुट गया हो। तमाम ने तो नाराजगी भी जता दी। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी सपने दिखा दिए। बोलें, इस बार चुनाव में जुट जाओ, अगली बार टिकट एकदम पक्का है।
बड़े काम के होते हैं छोटे दल
हर किसी की निगाह में बड़े दल ही होते हैं। सामने सत्तादल होता है तो तीखे वार करता विपक्ष। इन्हीं की धुरी में पूरे पांच साल का समय बीत जाता है और फिर चुनाव की रणभेरी बज उठती है। फिर, हर किसी की निगाह में भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद आदि दल चर्चाओं में आ जाते हैं, मगर छोटे दलों की भी अहमियत कम नहीं होती है। चुनाव के समय ये ऐसे चमकते हैं कि लोग देखते ही रह जाते हैं। फिर हर किसी की जुबान पर छोटे दलों की चर्चा होती है। इस बार भी बड़े दलों से टिकट के लिए लगे दावेदारों को जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पैतरा बदल लिया। छोटे दलों की पड़ताल करने लगे। जिसे जो दल मिला उससे ही ताल ठोक दी।चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं। सच, चुनाव के समय तो बड़े काम के होते हैं ये छोटे दल।
ये तो ठीक नहीं...
टिकट को लेकर इस बार भी साइकिल वाली पार्टी में खूब घमासान मचा रहा। दो सीटों पर खूब मंथन-चिंतन हुआ। हाई वोल्टेज ड्रामा तक हो गया। मगर, एक सीट पर आधी आबादी ने सभी को चौका कर रख दिया। बड़े-बड़े दिग्गजों के बीच से वो टिकट ले आईं। वर्षों से मेहनत और पार्टी से जुड़े नेता भी हाथ मलते रह गए। उधर, कोल पर युवा भैयाजी को झटका दे दिया। भैयाजी ने कोरोना काल से लेकर अबतक जितनी जनता की सेवा की वो किसी से छिपी नहीं है। कहीं भी कोई जरूरत पड़ती वो मदद को दौड़ पड़ते थे। कभी किसी काम के लिए उन्होंने पीछे कदम नहीं हटाए। हालांकि, पार्टी ने पहले टिकट की घोषणा उनके नाम पर ही की, मगर बाद में बाजी पलट गई। ऐसे में सभी में ये चर्चाएं थीं कि पार्टी को सिर्फ एक बार ही निर्णय लेना चाहिए था। पहले घोषित करना फिर बदल देना ये ठीक नहीं।
हर कोई कह रहा देख लूंगा
आजकल फिजा में एक नारा गूंज रहा है, सरकार बनने पर देख लूंगा। कुछ अधिकारियों पर इसी बात को लेकर धौंस जमा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले भी पुलिस चेकिंग की एक आडियो भी वायरल हुई थी, उसमें भी धमकी दी गई थी कि जितना मन चाहे वसूल लो सरकार बनने पर दूख लूंगा। जिले में भी नेताजी के तेवर कुछ ऐसे ही चढ़ गए। नामांकन में जब उन्हें अंदर घुसने से रोका गया तो पुलिस पर ही बरस पड़े। उनकी तेवरियां चढ़ गईं। बोलें, सरकार बनी तो दूख लूंगा। गली से लेकर चौराहे तक अब आम बात हो गई है। हर काेई यही बात कहते हुए नजर आता है। बैरीकेडिंग के पास भी एक कार्यकर्ता ने धमकी दे दी। एक अधिकारी ने पूछ लिया कि कहां से हैं आप? चेतावनी देने वाले बंगले झांकने लगे। सोचा की कहीं लेने के देने न पड़ जाए इसलिए मौका देखकर खिसक गए।