Rakshabandhan: स्वदेशी धागों से मजबूत हो रही रिश्तों की डोर Aligarh News
सीमा पर फौजी भाइयों ने चीनी सैनिकों को सबक सिखाया तो देश की बहनें कैसे पीछे रहतीं। उन्होंने भी भाइयों की कलाई पर देशी राखी बांधने की शपथ ली।
अलीगढ़ जेएनएन: सीमा पर फौजी भाइयों ने चीनी सैनिकों को सबक सिखाया तो देश की बहनें कैसे पीछे रहतीं। उन्होंने भी भाइयों की कलाई पर देशी राखी बांधने की शपथ ली। शहर के कई घरों में कलावा व अन्य सजावटी सामान से राखियां तैयार की हैं, राखियों के निर्माता हाजी तस्लीम की चांदनी ब्रांड नाम की राखी पश्चिमी व पूर्वी उत्तर प्रदेश के देशी बाजारों में उजियारा फैला रही हैं।
12 साल से राखियां बना रहे तस्लीम
तस्लीम 12 साल से राखियां बना रहे हैं। यूं तो राखी बनाने का काम होली बाद ही शुरू हो जाता है। इस बार 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के बाद अप्रैल तक लॉकडाउन के साथ तमाम पाबंदियां रहीं और राखियों का निर्माण नहीं हो सका। मेरठ, बुलंदशहर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के फुटकर व्यापारी ऑर्डर नहीं दे सके।
राखी से मिला रोजगार
भुजपुरा, ऊपरकोट, शाहजमाल, सासनीगेट सहित आधा दर्जन मोहल्लों की 150 महिलाओं व युवतियों को चांदनी राखी ब्रांड के मालिक रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने बच्चों के लिए टेडीवीयर, रुद्राक्ष, मोती, नग, डिब्बी बंद राखी, ब्रासलेट सहित 250 ब्रांड की राखियां तैयार की हैं। छह से 250 रुपये दर्जन तक की राखियां तैयार करते हैं। इस बार देशी राखियों की खूब मांग है।
चीन के उत्पादों के बहिष्कार का बाजार में असर दिखा है। लॉकडाउन के चलते बाजार की मांग के अनुसार आधा भी माल उपलब्ध नहीं करा सके हैं। राखी पूरी तरह स्वदेशी है।
तस्लीम, मालिक चांदनी फायर वर्क