सभी पदों पर एक साथ होंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
28 ग्राम पंचायतों के निकायों में तब्दील होने से मतदाताओं की संख्या घटी है। वर्ष 2000 में सभी पदों पर एक साथ चुनाव हुए थे। 2005 में दो बार में चुनाव कराए गए। 2010 में फिर से एक साथ चुनाव हुए। 2015 में फिर अलग-अलग कराए गए।
अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासन की तैयारियां जोरों पर हैैं। बूथों पर मतदाताओं की संख्या कम की गई है। पिछली बार एक हजार वोट पर एक बूथ था, इस बार 800 वोटों पर होगा। इससे बूथों की संख्या भी बढ़ेगी। अनुमान है कि ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के पदों पर मतदान एक साथ होगा। मतदाता सूची पुनरीक्षण चल रहा है। 2015 में पंचायत चुनाव दो बार में कराए गए थे। पहली बार जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए वोट पड़े थे, दूसरी बार में ग्राम पंचायत सदस्य व प्रधान के लिए चुनाव हुआ था। करीब तीन-चार माह पूरी प्रक्रिया में लग गए थे। कोरोना काल में इस बार चुनावों में देरी हो रही है।
कम की वोटों की संख्या
पंचायत चुनाव के लिए प्रशासन ने बूथ तय कर दिए हैं। इनकी संख्या में भी बदलाव किया गया है। 28 ग्राम पंचायतों के निकायों में तब्दील होने से मतदाताओं की संख्या घटी है। वर्ष 2000 में सभी पदों पर एक साथ चुनाव हुए थे। 2005 में दो बार में चुनाव कराए गए। 2010 में फिर से एक साथ चुनाव हुए। 2015 में फिर अलग-अलग कराए गए। इस बार एक साथ चुनाव कराने की तैयारी है।
28 दिसंबर तक सूची होगी तय
मतदाता सूची पुनरीक्षण चल रहा है। बीएलओ डोर टू डोर जाकर वोट बना रहे हैं। 15 नवंबर से सूची को कंप्यूटर पर दर्ज किया जाएगा। फिर दावे-आपत्तियों का निस्तारण होगा। 28 दिसंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा।
इतने पदों पर होने हैं चुनाव
ग्राम प्रधान, 878
जिला पंचायत सदस्य, 52
क्षेत्र पंचायत सदस्य, 1054
आंकड़े बोलते हैैं
2015 में 1455 केंद्र व 2940 बूथ।
2020 में 1395 केंद्र व 3035 बूथ।
2015 में कुल 18.19 लाख मतदाता
2020 में 16.97 लाख मतदाता
दो लाख मतदाता नगर निकाय में शामिल
क्या कहते हैं अधिकारी
सहायक निर्वाचन अधिकारी कौशल कुमार ने बताया कि निर्वाचन विभाग सभी पदों पर एक साथ चुनाव कराने की तैयारी में है। इसी हिसाब से बूथ तय किए गए हैं। हालांकि, इसे लेकर कोई लिखित आदेश नहीं आया है। लोकेश शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय प्रधान संगठन का कहना है कि गांवों की अधिकांश जनता अशिक्षित है। वह बैलेट का रंग देखकर वोट डालती है। चार बैलेट पेपर हाथ में होंगे तो भ्रमित हो जाएगी। अलग-अलग चुनाव होने चाहिए।