मुआवजा घोटाले में लेखाकार समेत तीन को किया निलंबित Aligarh news
गलत खातों में भेज दिया था 1.74 करोड़ का मुआवजा छह लोगों पर हुआ था मुकदमा दफ्तर के लेखाकार समेत तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है।
अलीगढ़, जेएनएन : स्वर्ण जयंती नगर विस्तार योजना में भूमि अधिग्रहण के मुआवजा घोटाले में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलएओ) दफ्तर के लेखाकार समेत तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। इनमें से दो की तैनाती यहां है और एक गाजियाबाद में है। तीनों पर गलत खातों में 1.74 करोड़ रुपये भेजने का आरोप है।
यह था मामला
अलीगढ़ विकास प्राधिकरण ने 2001 में स्वर्ण जयंती नगर विस्तार योजना 14 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित की। 2004 में इसके लिए जमीन ली गई। इसमें 1200 फ्लैट तैयार किए गए और 300 प्लॉट काटे गए। कुछ किसानों ने उस समय सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा ले लिया था, कुछ कोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने किसानों को बढ़े सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा देने के आदेश दिए। प्राधिकरण ने पैसा एसएलएओ के खाते में भेज दिया। वहीं से किसानों को दिया जाना था।
फर्जी दस्तावेज
एसएलएओ दफ्तर से 1.74 करोड़ मुआवजा दिया जाना था। इसमें तीन भाइयों का हिस्सा था, मगर कुछ फर्जी लोगों ने कर्मचारियों की मिलीभगत से पैसा ले लिया। दो-दो लोगों के तीन संयुक्त खातों में पैसे भेजे गए। तीनों खातों के कुछ साझेदार फर्जी थे। अफसरों ने बिना जांच के राशि भेज दी।
शिकायत पर जांच : डीएम से शिकायत हुई तो जांच में पर्दाफाश हो गया। तत्काल तीनों खाताधारकों के खिलाफ आरसी जारी की गई। इसमें 29.16-29.16 लाख की दो आरसी पन्नालाल सैनी व सुनील कुमार निवासी नगला तिकोना व 1.16 करोड़ की तीसरी आरसी पन्नालाल सैनी व राजकुमारी निवासी विष्णुपुरी के नाम पर जारी की गई। एसएलएओ की तरफ से चार कर्मचारियों समेत दस लोगों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा कराया गया।
निलंबन की कार्रवाई
विभाग के तीन कर्मचारी निलंबित कर दिए गए हैं। इसमें लेखाकार धर्मेश वाष्र्णेय (वर्तमान तैनाती गाजियाबाद), लिपिक यशोदा शर्मा व चपरासी राजकुमार शामिल है। धर्मेश के निलंबन के लिए पत्र भेज दिया गया था।
आदेश छह के, कार्रवाई हुई तीन पर ऐसा क्यों ?
गलत धनराशि भेजने में तत्कालीन एसएलएओ समेत छह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश हुए थे। इनमें लेखागार धर्मेश वाष्र्णेय, अमीन रियायुद्दीन व विनय श्रीवास्तव, वरिष्ठ लिपिक राजकुमार व कनिष्ठ लिपिक यशोदा शर्मा शामिल थे। कार्रवाई धर्मेश वाष्र्णेय व कनिष्ठ लिपिक यशोदा शर्मा पर हुई है। ऐसे में कर्मचरियों में इन्हें बचाने की चर्चाएं हैं। चपरासी संतोष को मिलीभगत का आरोपित मानते हुए निलंबित किया गया है।