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अलीगढ़ में दो सप्ताह तक अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर होगी ताबड़तोड़ छापेमारी, ये है मामला

अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर लिंग परीक्षण पर रोक व प्रभावी कार्यवाही के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट तो लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसकी निगरानी करती है। अफसोस स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर उदासीन रहा है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग में अफसरों की खूब खिंचाई की।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 11:35 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 11:35 AM (IST)
अलीगढ़ में दो सप्ताह तक अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर होगी ताबड़तोड़ छापेमारी, ये है मामला
पीसीपीएनडीटी एक्ट तो लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसकी निगरानी करती है।

अलीगढ़, जेएनएन। अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर लिंग परीक्षण पर रोक व प्रभावी कार्यवाही के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट तो लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसकी निगरानी करती है। अफसोस, स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर उदासीन रहा है। गुरुवार को अपर प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में अफसरों की खूब खिंचाई की। उन्होंने अल्ट्रासाउंड पर निरंतर नजर रखने, संबंधित लोगों के साथ कार्यशाला आयोजित कराने व दो हफ्ते के भीतर प्रत्येक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जांच करने के कड़े निर्देश दिए हैं। कार्यवाही के बाद रिपोर्ट भी तलब की है। 

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रेड लिस्ट में शामिल रहा जनपद 

चार साल पूर्व लिंग परीक्षण को लेकर 37 जिलों को रेड लिस्ट में शामिल किया गया है। इसमें अलीगढ़ भी है। यही नहीं, अलीगढ़ में लिंगानुपात को लेकर सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। खुद आंकड़े देखिए, वर्ष 2001 में 1000 लड़कों के सापेक्ष 885 लड़किया थीं, जो 2011 में 877 ही रह गईं। किरकिरी होने के बाद 2012 में यह संख्या 981 तक पहुंचने का दावा किया गया, मगर मई-2016 के ताजा आंकड़ों में यहां 1000 लड़कों पर मात्र 839 लड़कियां पाई गई हैं। पूरे प्रदेश की स्थिति इससे बेहतर है, जिसमें लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 893 लड़कियां हैं। वर्तमान में यही स्थिति है। 

लिंग परीक्षण पास, स्टिंग ऑपरेशन फेल

जिले में 196 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं। दर्जनों अवैध अल्ट्रासाउंट सेंटर भी हैं। कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन कर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं मगर यहां के अफसरों ने आज तक स्टिंग ऑपरेशन तो दूर किसी शिकायत पर नोटिस तक जारी नहीं किया। जबकि, दूसरे राज्यों से आईं टीमों ने यहां कई बार लिंग परीक्षण का पर्दाफाश किया। 

तकनीक भी फेल

सुप्रीम कोर्ट के खुद निगरानी करने पर भी स्वास्थ्य विभाग लिंग परीक्षण व अवैध गर्भपात पर गंभीर नहीं। सरकार ने 'प्यारी बिटिया डॉट कॉम' वेबसाइट खोली, इस पर संचालक का नाम, पता मोबाइल नंबर, ईमेल आई-डी, मशीन का नंबर, मशीन का क्रमांक रोजाना अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर आने वाली गर्भवतियों डाटा ऑनलाइन भरना होता है मगर यह कवायद भी फेल हो गई।

क्या है कानून?

पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग परीक्षण पर डॉक्टर या महिला मरीज के पहली बार पकड़े जाने पर तीन वर्ष का कारावास व 50 हजार का जुर्माना, दूसरी बार पकड़े जाने पर पाच वर्ष का कारावास व एक लाख का जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। टेस्ट ट्यूब बेबी के मामले में भी यही कानून लागू है।

सरकार फिर सख्त

सीएमओ डा. बीपीएस कल्याणी ने बताया कि अपर मुख्य सचिव अमित मोहन ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से नि्देश दिए हैं कि सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर नजर रखी जाए, किसी भी स्थिति में लिंग परीक्षण न होने पाए। जल्द ही इसके लिए एक कार्यशाला आयोजित हो, जिसमें डीएम, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एसएसपी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, प्राइवेट डाक्टर एसोसिएशन, चिकित्सा अधीक्षक व नोडल अधिकारी शामिल होंगे। इसमें एक्ट को लेकर सभी की शंका का निवारण किया जाएगा। साथ ही सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों का दो हफ्ते में सर्वे पूरा कर लिया जाएगा। लिंग परीक्षण करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए। 


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