अलीगढ़ में रावण के पुतले को लेकर कमेटी पदाधिकारियों में छिड़ी जुबानी जंग
प्रभु श्रीराम ने त्रेतायुग में रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का पूरे विश्व में संदेश दिया मगर अचलताल के रामलीला मैदान में रावण दहन को लेकर उसी बुराई से कमेटी नहीं निकल सकी। जैसे-तैसे रावण तो दहन हो गया।
अलीगढ़, जेएनएन। प्रभु श्रीराम ने त्रेतायुग में रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का पूरे विश्व में संदेश दिया, मगर अचलताल के रामलीला मैदान में रावण दहन को लेकर उसी बुराई से कमेटी नहीं निकल सकी। जैसे-तैसे रावण तो दहन हो गया। इस बार संगीतमयी रामायण पाठ के दौरान ही विवाद की लीला शुरू हो गई थी। श्रीराम लीला गोशाला कमेटी ने इस बार संगीतमयी पाठ का निर्णय लिया। तय हुआ चंदा मांगने नहीं जाएंगे, जो स्वेच्छा से दे जाएगा, उसी से काम चलाएंगे। कुछ कम होगा तो अपने पास से लगा लेंगे। यही हुआ। वेद प्रकाश जैन का कहना है? कि रावण दहन का भी निर्णय नहीं था। क्योंकि घनी आबादी में कोई खतरा हो सकता था। मगर, कुछ लोगों ने जानबूझकर रावण दहन की बात चर्चा तेज कर दी।
आयोजन से दूर रही महोत्सव समिति
महोत्सव समिति पूरे आयोजन से दूर रही। हां, पदाधिकारी सहयोग को आते रहे। चर्चा है? कि आयोजन से महोत्सव समिति को हटाए जाने से पदाधिकारियों में नाराजगी थी। इसलिए विवाद बढ़ा। समिति के पदाधिकारियों का आरोप है? कि वेद प्रकाश जैन ने अकेले पुतला हटाने का निर्णय क्यों ले लिया? पुलिस कैसे उनपर पुतला हटवाने का दवाब बना सकती है? बहरहाल, दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप की बौछार हो रही है।
उठ रहे हैं सवाल
रविवार सुबह सात बजे पुतला हटाए जाने की जब खबर थी तो दोपहर दो बजे लोगों को क्यों सुधि आई? इन सात घंटों के बीच में क्यों गोशाला कमेटी और महोत्सव समिति ने आपसी सामजस्य नहीं बिठाया? आखिर दोपरह दो बजे शहर विधायक संजीव राजा के आने के बाद क्यों दोबारा पुतले को दोबारा बनाने में सक्रियता दिखाई गई? मैंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला
अध्यक्ष वेद प्रकाश जैन ने कहा कि उन्होंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला। उन्हें 4.30 बजे एक फोन पहुंचा था। वो 15 मिनट बाद ही रामलीला मैदान पहुंच गए थे। उन्हें सुबह सात बजे से लेकर चार बजे तक कोई सूचना नहीं दी गई थी। पुतला हटाने के बारे में मंत्री अरिवंद अग्रवाल को सूचना दे दी थी?
महिला कलाकार को लेकर विवाद
वेद प्रकाश जैन ने कहा कि तीन साल से रामलीला में महिला पात्र आ रही हैं, जिसका मैं विरोध करता आया। मैंने कहा कि रामलीला की मर्यादा बनी रहनी चाहिए। एक-एक कलाकार को 80 हजार रुपये देकर बुलाया जाता रहा, जो उचित नहीं था। मेरे इस विरोध से भी मुझसे कुछ लोग नाराज थे।
फिर क्यों ली जिम्मेदारी
श्रीराम लीला महोत्सव समिति के अध्यक्ष विमल अग्रवाल ने भी आरोपों की छड़ी लगा दी। उन्होंने कहा कि पुलिस का इतना साहस नहीं कि वो जनभावना से खिलवाड़ कर सके? यदि वेद प्रकाश जैन के पास पुलिस आई थी तो हम सभी को रात में ही क्यों नहीं सूचना दी। यदि वह दवाब सहन नहीं कर सकते थे तो आयोजन की क्यों जिम्मेदारी ली?
एक दिन बाद नहीं दिया किसी ने हिसाब
अध्यक्ष वेद प्रकाश जैन ने आयोजन समाप्त होने के दूसरे ही दिन पूरा हिसाब सामने रख दिया। उन्होंने कहा कि दस दिन के आयोजन में कुल 97863 रुपये खर्च हुए थे। इसमें से 40800 रुपये दान दाताओं ने दिए थे। शेष 57063 आपसी सहयोग से एकत्र किए गए थे। जैन ने कहा कि इसी में दस दिन का आयोजन और रावण दहन आदि कार्यक्रम भी हुआ। इससे कम में कोई आयोजन नहीं कर सकता था।