Corona's havoc : अलीगढ़ में कब्रिस्तान में नहीं बची जगह, रोजाना 10-12 शव हो रहे दफन Aligarh news
कोरोना की दूसरी लहर के बीच मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि श्मशानगृह में भी जगह नहीं मिल रही है। सिर्फ श्मशान ही नहीं कब्रिस्तान का भी यही हाल है। शाहजमाल स्थित कब्रिस्तान में रोजाना 10-12 शव दफन हो रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना की दूसरी लहर के बीच मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि श्मशानगृह में भी जगह नहीं मिल रही है। सिर्फ श्मशान ही नहीं, कब्रिस्तान का भी यही हाल है। शाहजमाल स्थित कब्रिस्तान में रोजाना 10-12 शव दफन हो रहे हैं। यहां कब्रखोदा रात तक कब्र खोदने में लगे हुए हैं। लोगों को शव दफन कराने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
कोरोना काल में हालात खराब
शाहजमाल बड़ी ईदगाह के सामने कब्रिस्तान है। यहां ऊपरकोट, तुर्कमान गेट, सराय मियां, शाहजमाल आदि इलाकों के लोगों के शव दफन किए जाते हैं। लेकिन, कोरोना काल में यहां हालात खराब हो गए हैं। पूर्व में औसतन तीन-चार शव रोजाना दफन होते थे, वहीं अब इनकी संख्या चार गुना बढ़कर 10-12 हो गई है। कब्रखोदा लगातार कब्र खोदने में लगे हुए हैं। हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि सभी मौतें कोरोना से हो रही हैं। लेकिन, इतना जरूर है कि सभी की मौत अचानक हुई है। इनमें अधिकतर सांस लेने के चलते, घबराहट ही मौत का कारण बताया जा रहा है। शाहजमाल कब्रिस्तान के पदाधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में कभी शव नहीं दफनाए गए। पहले महिला-पुरुष का मौत का अनुपात 80-20 प्रतिशन होता था, जबकि अब 50-50 प्रतिशत हो गया है।
एक साथ खोदी तीन कब्र
मंगलवार को यहां एक साथ तीन कब्र खोदी गईं। यही नहीं, कब्र खोदने के लिए 10 लोगों की टीम है। जो सुबह से कब्र खोदने में लग जाती है और रात करीब 12 बजे तक काम होता है। शव दफनाने के लिए लोगों को इंतजार भी करना पड़ रहा है।
नई जगह भी आधे से ज्यादा भरी
तीन माह पहले कब्रिस्तान से हटकर करीब 10 हजार गज में शव को दफनाने के लिए नई जगह बनाई गई है। लेकिन, तीन माह के अंदर ही यहां आधे से ज्यादा जगह भर गई है। शुरुआती दो माह में 125-130 शव दफन हुए थे। जबकि सामान्य महीनों में यह आंकड़ा 70-80 होता है। आखिरी यानि इस महीने में रफ्तार और बढ़ गई है।
इनका कहना है
अफसोस की बात है कि यह हालात बन गए हैं। लेकिन, चिंता भी है कि लोग जागरूक नहीं है। अपील है कि घरों से बाहर न निकलें। घरों पर रहकर नियमों का पालन करें और सुरक्षित रहें। कब्रिस्तान को आबाद न करें।
- मुईन मोनू, सचिव, वक्फ नंबर 63, शाहजमाल कब्रिस्तान
हालात देखकर बहुत तकलीफ हो रही है। दरगाह भी बंद करा दी गई हैं। दुआएं कराईं जा रही हैं। लोगों से अपील है कि नियमों को मानें और सुरक्षित रहें। नियमों को मानकर इस बीमारी से जरूर निजात पाएंगे।
- नावेद इकबाल, दरगाह संरक्षक