छात्र-छात्राएं भी हैं, मोबाइल भी है, टीवी भी है फिर भी अटकी है पढ़ाई, जानिए मामला Aligarh news
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह अटक गई। आफलाइन माध्यम हो या आनलाइन माध्यम किसी भी तरह से पढ़ाई न कराने के आदेश शासन से जारी किए गए थे। अब कोरोना संक्रमण से थोड़ी राहत मिलने पर आनलाइन पढ़ाई की शुरुआत कराई गई है।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह अटक गई। आफलाइन माध्यम हो या आनलाइन माध्यम किसी भी तरह से पढ़ाई न कराने के आदेश शासन से जारी किए गए थे। अब कोरोना संक्रमण से थोड़ी राहत मिलने पर आनलाइन पढ़ाई की शुरुआत कराई गई है। मगर कुछ हीलाहवाली के चलते ऐसी स्थिति भी उपजी है कि छात्र-छात्राएं तो हैं, तमाम घरों में एंड्रायड मोबाइल व इंटरनेट की सुविधा भी है, दूरदर्शन देखने को टीवी भी है लेकिन फिर भी पढ़ाई अटकी हुई है। दरअसल कक्षा छह से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई दूरदर्शन पर प्रसारण के जरिए कराई जा रही है लेकिन तमाम परिवार ऐसे हैं जहां विद्यार्थी टीवी नहीं देख पाते हैं। या तो उनके घर पर टीवी नहीं है या उस पर प्रसारण देख पाने की असमर्थता है।
कोरोना के चलते बंद किए गए विद्यालय
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अप्रैल से नया सत्र शुरू करने की कवायद की गई थी। मगर कोरोना काल के चलते विद्यालयों को बंद करने का फैसला लिया गया। संक्रमण की घातकता इतनी ज्यादा थी कि आनलाइन पढ़ाई भी बंद कर दी गई। संक्रमण कम हुआ तो आनलाइन पढ़ाई की इजाजत दी गई। मगर कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों की आनलाइन पढ़ाई ई-पाठशाला के जरिए करानी सुनिश्चित की गई। दूरदर्शन पर विषय सामग्री का प्रसारण किया जाता है। करीब 30 विद्यार्थी वाट्सएप ग्रुप के जरिए आनलाइन माध्यम से पढ़ाई से जुड़े हैं। सरकारी स्कूलाें में पढ़ने वाले ज्यादातर विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से होते हैं, इसलिए जरूरी नहीं कि उनके घर पर टीवी हो और अगर टीवी हो तो वे या उनके स्वजन दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाली शिक्षण सामग्री को देखकर समझ सकें। इसके लिए उनके पास किताबें होनी बहुत जरूरी हैं। मगर शासन स्तर से अभी कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए नए सत्र की किताबें भेजने का कोई कदम तक नहीं उठाया गया है। ऐसे में कोरोना संक्रमण काल के चलते सभी विद्यार्थी प्रमोट कर अगली कक्षा में तो भेज दिए गए लेकिन उनके पास अगली कक्षा की किताबें नहीं हैं। ऐसे में आनलाइन पढ़ाई या दूरदर्शन पर प्रसारण के जरिए पढ़ाई की बात शायद बेईमानी ही साबित होगी।
इनका कहना है
बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय का कहना है कि अभी शासनस्तर से किताबें नहीं आई हैं, पुरानी किताबों से ही व्यवस्था कर विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। शासन से किताबों के संबंध में जब कोई आदेश आएगा तो उसके अनुसार आगे की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।