Aligarh Basic Education : बच्चों के बैग में किताबें हैं लेकिन शिक्षकों के पास नहीं है शिक्षक डायरी, जानिए मामला Aligarh News
शिक्षक को अपने साथ शिक्षक डायरी रखना अनिवार्य किया गया था। मगर शिक्षक-शिक्षिकाएं इस डायरी को मेंटेन करना तो दूर इसको बनाने के मूड में भी नहीं हैं। इसकी बानगी तब सामने आती है? जब कोई अफसर स्कूलों के निरीक्षण पर आते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बैग में किताबें तो मिल जाती हैें लेकिन शिक्षकों के बैग या हाथ में उनकी शिक्षक डायरी ढूंढ़े नहीं मिलती। इसीलिए शिक्षक अपने कार्य का निर्वहन करने में भी पीछे होते जा रहे हैं। विद्यालय आने पर उनको यह तक नहीं मालूम होता है? कि आखिर उनको पढ़ाना क्या है? जबकि शासन की ओर से इसी बिंदु को मजबूत करने के लिए शिक्षक डायरी का फंडा निकाला था। हर शिक्षक को अपने साथ शिक्षक डायरी रखना अनिवार्य किया गया था। मगर शिक्षक-शिक्षिकाएं इस डायरी को मेंटेन करना तो दूर इसको बनाने के मूड में भी नहीं हैं। इसकी बानगी तब सामने आती है? जब कोई अफसर स्कूलों के निरीक्षण पर आते हैं।
यह है मामला
शासन ने व्यवस्था बनाई थी कि किसी भी शिक्षक को अगले दिन क्या पढ़ाना है? या क्या गतिविधियां करानी हैं? उसकी पाठयोजना आदि तैयार कर स्कूल में जाया जाएगा। इसके लिए विद्यालय से अवकाश होने के 15 मिनट बाद तक शिक्षक को इसी काम को करने के लिए रुकना भी है। मगर इस व्यवस्था की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षक डायरी भी लाई गई। जिसमें एक दिन पहले ही अगले दिन की शिक्षण योजना को लिखना होता है? लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। यह बात तब सामने आई जब एडी बेसिक डा. पूरन सिंह ने कक्षा में शिक्षिका से पूछा कि आप खड़े-खड़े क्या सोच रहीं? हैं? पढ़ाई क्यों नहीं करा रहीं? तो शिक्षिका ने जवाब दिया कि वो सोच रहीं? हैं? कि क्या पढ़ाना है? एडी बेसिक ने इस पर नाराजगी जताते हुए बीएसए सत्येंद्र कुमार ढाका को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। एडी बेसिक ने बताया कि बालक पाठशाला संख्या-33 चंदनिया नगर क्षेत्र में प्रधानाध्यापिका जलीस फातिमा अवकाश पर थीं लेकिन मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश स्वीकृत नहीं था। शिक्षिका कमल पाल ने कहा वे सोच रहीं? हैं? कि क्या पढ़ाना है? शिक्षक डायरी में योजना क्यों नहीं लिखतीं? इस पर कोई जवाब नहीं मिला। इसके अलावा भी उनको अन्य स्कूलों में स्थितियां खास अच्छी नहीं मिलीं। यहां तक कि शिक्षकों के अवकाश मानव संपदा पोर्टल पर स्वीकृत होना जरूरी हैं? लेकिन ये व्यवस्था भी ढाक के तीन पात ही साबित हो रहीं? है। कन्या पाठशाला संख्या-21 चंदनिया में शिक्षामित्र शिखा कुलश्रेष्ठ व इंचार्ज प्रधानाध्यापिका मनोरमा दुबे आकस्मिक अवकाश पर थीं लेकिन पोर्टल पर अवकाश स्वीकृत नहीं था। इस पर उन्होंने बीएसए को निर्देशित किया है? कि सुधार करने के उद्देश्य से लापरवाहों पर सख्त कार्रवाई की जाए।