अलीगढ़ में हुई मुठभेड़ पर उठने लगे सवाल, क्या सिर्फ नाम पता बता सके मारे गए बदमाश ?
हरदुआगंज क्षेत्र स्थित सिंचाई विभाग के खंडहर हो चुके गेस्ट हाउस व दफ्तर में छिपे गुरुवार को हुई मुठभेड़ पर सवाल उठने लगे हैं।
अलीगढ़ (जेएनएन) । हरदुआगंज क्षेत्र स्थित सिंचाई विभाग के खंडहर हो चुके गेस्ट हाउस व दफ्तर में छिपे गुरुवार को हुई मुठभेड़ पर सवाल उठने लगे हैं। मुठभेड़ में नौशाद (22) पुत्र साबिर व मुस्तकीम (25) पुत्र इरफान निवासी गली नंबर आठ छर्रा, अलीगढ़ मारे गए। मुठभेड़ की जो कहानी पुलिस बता रही है उसमें कुछ झोल भी हैैं। पुलिस का कहना है कि बुधवार की रात 11 बजे बाइक लूट की वारदात हुी। गुरुवार सुबह सवा छह बजे चेकिंग में भागे बदमाशों से साढ़े छह बजे मुठभेड़ हुई। सवाल यह है कि बदमाश रात 11 बजे से सुबह छह बजे तक यानी सात घंटे कहां रहे? दरअसल, गांव तालसपुर के पास बाइक लूट हुई। वहां से चेकिंग स्थल (साधु आश्रम) आठ किमी दूर है। यहीं पहली बार हरदुआगंज इंस्पेक्टर से बदमाशों का आमना-सामना हुआ।
बदमाश बाइक भगाते हुए पनेठी रोड की ओर बढ़े और करीब पांच किमी आगे स्थित नहर के किनारे सिंचाई विभाग के खंडहर हो चुके दफ्तर व गेस्ट हाउस में छुप गए। यहीं मुठभेड़ हुई, जिसमें वे मारे गए। सवाल यह भी है कि बदमाश और आगे भी भाग सकते थे। आगे पटरी बेहद खराब हाल में है। इसमें बाइक तो जैसे-तैसे चल भी सकती है, मगर जीप के निकलने का तो सवाल ही नहीं है। फिर, बदमाश यहीं क्यों छिप गए? फिलवक्त, इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं।
सिर्फ नाम, पता ही बता सके और मर गए
मुठभेड़ की कहानी पर सवाल उठ रहे हैं। खासकर मुस्लिम इलाकों ने चर्चा है। कहा जा रहा है कि पुलिस की ये कहानी बिल्कुल वैसी ही है, जैसे छहमार गिरोह के सरगना भीका और उसके तीन गुर्गों को ढेर करने की थी। तब पुलिस ने कहा था कि चारों अपने नाम, पते बताकर ही मर गए और जानकारियां नहीं दे सके। इस मुठभेड़ में भी पुलिस यही कहना है कि उपचार को ले जाते समय दोनों नाम-पते ही बता सके थे। एक और समानता ये कि दोनों के सीने में दो-दो गोलियां मारी गई थीं, जो पार हो गईं। इसकी पुष्टि एक्सरे रिपोर्ट ने की। गोलियों से इनके दिल, गुर्दे आदि अंग क्षतिग्रस्त हुए थे, ऐसी हालत में ये लोग कुछ बता सकेंगे या फिर इनका इलाज जिला अस्पताल में संभव था। घायल इंस्पेक्टर को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया।
बेकसूरों को मार रही है पुलिस
मुठभेड़ में ढेर हुए नौशाद (22) व मुस्तकीम (25) को पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह और पूर्व विधायक जमीर उल्लाह ने बेकसूर बताया है। पूर्व विधायक ने पत्रकार वार्ता में कहा कि मारे गए दोनों लोगों को पुलिस रविवार से लेकर घूम रही थी। इन पर कोई पुराना मुकदमा भी नहीं है। पुलिस ने साधुओं व किसानों की हत्या में इन्हें झूठा फंसाया है। ये लोग अतरौली में इमरान के यहां कढ़ाई का काम कर गुजारा कर रहे थे। अलीगढ़ पुलिस योगी सरकार की वाहवाही लूटने के लिए ऐसे कृत्य कर रही है। पूर्व में भी बेकसूरों को मारा गया, इन सब मामलों की जांच होनी चाहिए। बिजेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस दोनों युवकों के आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि दस्तावेज भी जबरन ले गई थी। इतने दिनों से पुलिस इन्हें मारने का मौका तलाश रही थी। मौका मिलते ही मार दिया। इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
बदमाशों की 26 राउंड फायङ्क्षरग पर भारी पड़ी पुलिस की 14 गोलियां
मुठभेड़ में पुलिस ने 14 गोलियां चलाईं, जबकि बदमाशों ने डेढ़ घंटे चली मुठभेड़ में 26 राउंड फायङ्क्षरग की। नौ गोलियां .32 बोर की देशी पिस्टल से चलाई गईं तो 17 फायर 315 बोर के तमंचे से किए गए। मगर, पुलिस की 14 गोलियां ही इन पर भारी पड़ गईं। इंस्पेक्टर हरदुआगंज डॉ. विनोद, इंस्पेक्टर अतरौली प्रवेश राणा, इंस्पेक्टर पाली मुकीमपुर प्रदीप कुमार, एसआइ रामेंद्र ने सरकारी पिस्टल से दो-दो, एसआइ हरेंद्र सिंह व प्रेमपाल सिंह ने एक-एक गोली चलाई। थाना अतरौली के कांस्टेबल आदित्य कुमार ने सर्वाधिक चार गोलियां चलाईं। इसके पहले बदमाशों को खंडहर से बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के 15 गोले भी छोड़े गए।
ग्रामीणों में दहशत, चौतरफा चर्चा
बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान हरदुआगंज कस्बे के साथ आसपास 10 किमी दायरे वाले गांवों तक दहशत रही। मुठभेड़ वाला रास्ता ही माछुआ गडिय़ा, बुढांसी व जलाली जाने का रास्ता है। गुरुवार की सुबह साढ़े छह यहां अचानक पुलिस के घेराबंदी कर लेने और फायङ्क्षरग से खलबली मच गई। लोग नहर की ओर दौडऩे लगे। पुलिस ने दोनों ओर गाडिय़ां लगाकर रास्ता बंद कर रखा था। मुठभेड़ देखने के लिए सैकड़ों लोग यहीं जमे रहे।
कभी कलक्टर रुका करते थे सिंचाई विभाग के इसी भवन में
माछुआ नहर पुल से बमुश्किल 50 मीटर दूर पटरी किनारे बने सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में कभी जिला कलक्टर भी रुका करते थे। हर छह महीने में तीन रात रुकते, लोगों की समस्याएं सुनते। उस जमाने में यही चौपाल का रूप हुआ करती थी। गेस्ट हाउस के बगल में सिंचाई विभाग का कार्यालय होता था। चार दशक पहले यह व्यवस्था बंद हो गई। कालांतर में नहर विभाग का कार्यालय भी बंद हो गया। देखरेख के अभाव में बिल्डिंग के दरवाजे खिड़कियां भी गायब हो गईं। आलीशान भवन एक खंडहर हो गया। यहां हफ्ते में एक बार पैठ लगती है। उस रोज के सिवाय बाकी दिन यहां से गुजरने में भी लोग कतराते हैैं।
चार साल पहले यहीं पकड़ी गई थी शराब
सिंचाई विभाग का यह खंडहरनुमा भवन आपराधिक तत्वों का अड्डा रहा है। यहां करीब चार साल पहले शराब का जखीरा पकड़ा गया था। तत्कालीन एसओ पहलवान सिंह ने यहां असली बोतल में नकली शराब भरते हुए पकड़ा था। यह एकदम सुनसान इलाका है। कोई भी सभ्य आदमी इस ओर जाने से कतराता है।
सालभर पहले ही हुआ मुस्तकीम का निकाह
मुस्तकीम की मां सायना व दादी रफीकन ने बताया कि उनका परिवार 20 साल पहले झारखंड के बलरामपुर से मजदूरी की तलाश में अलीगढ़ आया था और यहीं बस गया। छर्रा में चुंगी इलाके में रहने लगे, अब अतरौली में रह रहे हैं। मुस्तकीम का निकाह सालभर पहले ही नौशाद की बहन हिना से हुआ था। वार्ता में नौशाद की मां शबनम भी मौजूद थीं। नुमाइश मैदान स्थित कब्रिस्तान में दोनों शव दफनाए गए। बड़ी संख्या में पुलिस पोस्टमार्टम हाउस और कब्रिस्तान में मौजूद रही।
जमीर उल्लाह व बिजेंद्र को पुलिस देगी नोटिस
मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे जमीर उल्लाह, बिजेंद्र सिंह व जियाउर्रहमान को पुलिस नोटिस देकर इनके बयान दर्ज कराएगी। एसएसपी अजय साहनी ने कहा कि इन्हें लगता है कि गलत कार्रवाई हुई है तो साक्ष्यों के साथ पहले थाने में 161 और फिर कोर्ट में 164 के बयान दर्ज कराएं। हम भी कोर्ट में सारे तथ्य रखेंगे। एसएसपी ने कहा, 'ये लोग तब क्यों नहीं बोले, जब तीन साधुओं समेत छह हत्याएं हो गईं, तब क्यों नहीं जब एटा के शहर मुफ्ती की हत्या ने इन बदमाशों का नाम सामने आया। इनका कहना है कि रविवार को पुलिस ने दोनों को उठा लाई थी, तब क्यों नहीं सवाल उठाए। हम इन्हें निमंत्रण दे रहे हैं कि वे आए और साक्ष्यों के साथ अपने बयान दर्ज कराएं। क्वार्सी क्षेत्र में हुई लूट के पीडि़तों से भी बदमाशों की पहचान कराई जा रही हैÓ।