जिसकी आवाज दूर तक जाती थी वो काेरोना की दूसरी लहर में चूक गया, जानिए पूरा मामला Aligarh news
एएमयू की वो संस्था है जिसकी आवाज दूर तक जाती है। दुनिया के किसी भी कौने में कुछ हो उसके विरोध या समर्थन में यहां आवाज जरूर उठती है। दूसरों का ज्ञान देने वाला सर सैयद का चमन इस कोरोना की दूसरी लहर में चूक कर गया।
अलीगढ़, जेएनएन । एएमयू की वो संस्था है जिसकी आवाज दूर तक जाती है। दुनिया के किसी भी कौने में कुछ हो उसके विरोध या समर्थन में यहां आवाज जरूर उठती है। दूसरों का ज्ञान देने वाला सर सैयद का चमन इस कोरोना की दूसरी लहर में चूक कर गया। विद्वानजनों ने न तो खुद को वैक्सीन लगवाई और दूसरों को प्रेरित ही किया। सबसे कम टीकाकरण मेडिकल कालेज में ही हुआ। कोरोना काल में जिन शिक्षकों को यूनिवर्सिटी ने खोया उनमें से अधिकांश ने टीका नहीं लगवाया था। यूनिवर्सिटी ने भी मान लिया कि उनकी मौत की बड़ी वजह ये भी रही। कुलपति ने एक बार फिर यूनिवर्सिटी बिरादरी से टीका लगवाने की अपील की है। अपील के अपने मायने भी हैं। संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण से बेहतर कुछ है भी नहीं। युवाओं की समझ में ये बात आ गई है। वो अपनों को टीका लगवाने के लिए ले भी जा रहे हैं।
निगरानी ताे रखनी होगी
गर्दिश में हों तारे, न घबराना प्यारे, अगर तू हिम्मत न हारे तो होंगे वारे-न्यारे। फिल्मी गाने की इस लाइन को चरितार्थ करने के लिए जिले के कुछ विद्यालयों के मैनेजमेंट गुरुओं की मंशा बनने लगी है। कोरोना काल में विद्यालय बंद होने व छात्रों की फीस न आने से संचालकों के तारे गर्दिश में हैं। अब शिक्षा जगत के बड़े बोर्ड की ओर से बिना परीक्षा 60 हजार विद्यार्थियों को प्रमोट किए जाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। परीक्षा शुल्क के नाम पर प्रति छात्र लिए गए 500 रुपये के हिसाब से जिले के तीन करोड़ रुपये वापस करने की मांग भी उठ गई। जिन मैनेजमेंट गुरुओं के कालेज में 600 छात्र भी हैं तो तीन लाख रुपये आएंगे। फिर वो छात्रों के पास जाते हैं या नहीं? ये तो मैनेजमेंट गुरु ही जानें। अफसरों को इस पर निगरानी रखनी होगी। देखना है ऊंट किस करवट बैठेगा?
फंस गए नंबर गेम में
यूपी बोर्ड से संबद्ध कालेजों के गुरुजी पहले तो तेवर में आए लेकिन बाद में नंबर गेम में फंसकर बैकफुट पर भी आ गए। बोर्ड के नंबर मांगने के कदम ने जिले के कुछ माध्यमिक विद्यालय संचालकों की पोल भी खोल दी। बोर्ड ने हाईस्कूल के विद्यार्थियों के प्री-बोर्ड व छमाही परीक्षा के साथ उनके नौंवीं कक्षा के अंक भी मांग लिए। गुरुजी बोले बोर्ड के आदेश पर प्रमोट किया गया था, नंबर कहां से दें? मगर प्रमोट करने का आदेश तो 13 अप्रैल 2020 को दिया गया था। सत्र तो मार्च में ही पूरा हो जाता है। ऐसे में क्या प्रमोट करने के आदेश का इंतजार किया जा रहा था। सच्चाई के रूप में सामने आया कि कुछ कालेजों में छात्रों की नौवीं की पढ़ाई तो दूर परीक्षा तक नहीं कराई गई। बोर्ड से गाज न गिरे इसलिए वही गुरुजी नंबर अपलोड करने की जुगत में लग गए हैं।
ये तो बिना किए की सजा है
परिणाम के 20 दिन बाद प्रधानों को शपथ दिलाने की घोषणा हो गई है। पहली बार डिजिटल शपथ दिलाई जा रही है। अफसर इसकी तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि, सरकार ने अभी दो तिहाई ग्राम पंचायत सदस्यों से कम संख्या वाली पंचायतों में शपथ न कराने का फैसला लिया है। ऐसे में जिले के 390 से ज्यादा प्रधानों के अरमानों पर बिना कुछ किए ही पानी फिर गया है। अब इन प्रधानों को पंचायत भवन की कुर्सी पर बैठने के लिए दो तीन महीने का और इंतजार करना पड़ेगा। पहले ही एक महीने की देरी हो चुकी है। ऐसे में इन प्रधानों का चेहरा उतर गया है। इनका तर्क है कि अगर सदस्य निर्वाचित नहीं हुए तो इसमें उनकी क्या गलती है? सरकार को शपथ दिलाकर विकास कार्य शुरू कराने चाहिए। महीनों से वैसे ही पंचायतों में विकास कार्य बंद हैं। गांव के लोग तो उनसे ही सवाल कर रहे हैं।