चुनाव की चुनौती में ढीली पड़ी अलीगढ़ पुलिस की पकड़, दो लूट की घटनाओं से खुली कलई
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अलीगढ़ में सुरक्षाबलों ने भी डेरा डाल दिया है। इस बीच लगातार आपराधिक घटनाओं के चलते अलीगढ़ पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं कि इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने पर भी अपराधी बेखौफ हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। चुनावी माहौल में ऐसा कहा और दिखाया जा रहा है कि इन दिनों पुलिस की मुस्तैदी इतनी तगड़ी है कि पङ्क्षरदा भी पर नहीं मार सकता। गली-गली में फ्लैग मार्च हो रहा है तो बाहर से आया फोर्स भी चुस्त है। इतनी धमाचौकड़ी के बीच लगातार दो लूट की घटना हो जाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। पहले इगलास में व्यापारी को लूटा गया। फिर पिसावा में भी एक व्यापारी के साथ बदमाशों ने वारदात की। छिटपुट घटनाएं तो शायद गिनती में भी नहीं आ पाती हैं। ऐसे में ये मुस्तैदी कहां चली गई? या फिर ये कहें कि देहात की पुलिस थोड़ी ढीली पड़ रही है। धड़ल्ले से 'थानेदारी' चल रही है और चेकिंग के नाम सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। भागदौड़ बढऩे के चलते क्षेत्र वाले 'साहब' भी शायद ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इस माहौल में भी इतनी बेफिक्री कहीं भारी न पड़ जाए।
अकेले ही संभाली कमान
पुलिसिंग की अच्छी बातें शायद कभी सामने नहीं आ पाती हैं। चूंकि थाने-चौकियों में लोगों से मुलाकात करने वाले पुलिसकर्मी जरूरत से ज्यादा 'सख्ती' दिखा देते हैं तो लोग सहम जाते हैं। इसलिए वहीं तक सीमित रहते हैं और अधिकारी तक पहुंच ही नहीं पाते हैैं। वर्तमान में शहर के तीनों क्षेत्र वाले 'साहबÓ 'तेजतर्रारÓ हैं। थानों की बातें भी खुद ही उंगलियों पर रखते हैं। तीनों में समन्वय ही बेहतर है तो कोई दिक्कत भी नहीं आती है। हाल ही में दो अधिकारी संक्रमण की चपेट में आ गए तो तीसरे वाले 'साहब' ने अकेले ही पूरी कमान संभाल ली। घटनाएं हुईं तो खुद दौड़ लगाई और जनसुनवाई से भी लोगों को संतुष्ट किया। हालांकि बीमारी में भी दोनों साथी फोन पर उपलब्ध थे। इससे पहले दोनों साथी भी अकेले 'मोर्चा' संभालकर इस समन्वय को मजबूत कर चुके हैं। संकट के दौर में यही अच्छी पुलिङ्क्षसग की पहचान है।
इन मौतों का जिम्मेदार कौन
ठंड और कोहरेे ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। हाईवे पर चलना खतरे से खाली नहीं है। इस समय जरा सी लापरवाही का अंजाम भारी हो सकता है। पिछले दिनों पनेठी के पास दो बड़े हादसे हुए। पहले हादसे में दो लोगों की जान चली गई थी। वो भी आमने-सामने वाहनों के बीच टक्कर थी। सड़क ऊंची-नीची बताई गई। एक तरफ का रास्ता भी बंद था। लेकिन, किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी के चलते दूसरा बड़ा हादसा हुआ। इसमें भी तीन लोगों की जान चली गई। ये हादसा भी उसी प्वाइंट पर हुआ। सड़क वैसी ही थी। इसके बाद किसी ने बिजली के खंभों को दोषी बताया तो किसी ने हाईवे प्राधिकरण पर दोष मढ़ा। कुछ न मिला तो मौसम को दोषी ठहरा दिया गया। लेकिन, इतने बड़े हादसे की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली। बल्कि कुछ लोगों ने अफवाह फैलाकर माहौल खराब करने की जरूर कोशिश की।
इस आडियो में वो दम नहीं...
कुछ दिन पहले तक शराब प्रकरण ने जिले में खूब शोर मचाया था। एक आडियो ने इस प्रकरण का पन्ना ही बंद कर दिया। अब न कोई चर्चा है, न शिकवा और न शिकायत। वो 'सनसनीखेजÓ आडियो कहां से आया था, कोई नहीं जान पाया। अब उसी पैटर्न पर एटा के कारोबारी के हत्याकांड में भी एक आडियो सामने आया है। ये आडियो आरोपित ने खुद को निर्दोष बताने के लिए जारी किया है। लेकिन, इसमें वो दम नहीं है, बल्कि इससे भी पुलिस को परोक्ष रूप से फायदा ही मिला है। जिस तरह आरोपित ने आवाज निकाली, कई लोगों के नाम लिए और योजना की कहानी रची है, उससे काफी हद तक स्पष्ट हो गया है कि असलियत क्या है? इसीलिए तो पुलिस की कोई प्रतिक्रिया नहीं है। बल्कि, आरोपित की गर्दन हाथ में आ गई है। अब बस इंतजार है कि कब पुलिस अपनी कहानी को सामने लाएगी।