पड़ताल में फर्जीवाड़ा हुआ उजागर, जिन्हें 108 एंबुलेंस सेवा से अस्पताल पहुंचाया, उन्हें पता ही नहीं
गर्भवती महिलाओं और बच्चों को अस्पताल पहुंचाने व घर लाने के लिए निश्शुल्क सेवा 102 एंबुलेंस व गंभीर रोगियों को अस्पताल लाने वाले 108 एंबुलेंस सेवा में बड़ी गड़बड़ी पायी गयी। एंबुलेंस से जिन रोगियों को ढोया गया उन्हें पता ही नहीं।
विनोद भारती, अलीगढ़ । गर्भवती महिलाओं और बच्चों को अस्पताल पहुंचाने व घर ले लाने के लिए निश्शुल्क सेवा 102 एंबुलेंस के अलावा घायलों और गंभीर रोगियों को अस्पताल छोडऩे वाली 108 एंबुलेंस सेवा में गड़बड़ी की जांच भले ही पूरी न हुई हो, लेकिन दैनिक जागरण की पड़ताल में कुछ ऐसा ही फर्जीवाड़ा सामने आया है। एंबुलेंसों से जिन रोगियों को ढोया गया, उन्हें पता ही नहीं। एक ही मोबाइल नंबर से बार-बार काल करके एंबुलेंस मंगाई गई। इनमें से अधिकतर नंबर बंद आ रहे हैं। कुछ काल करने वाले तो रोगी का सही नाम तक नहीं बता पाए। साफ है कि शासन ने एंबुलेंस की ट्रिपों का सत्यापन यूं ही नहीं शुरू कराया है। विभागीय सत्यापन की रिपोर्ट पर हर किसी की नजर है।
केस -एक
एक अप्रैल को 53 वर्षीय ब्रजबाला को गंभीर हालत में क्वार्सी से जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराना दर्शाया है। कालर का नाम विवेश दर्ज है। इसी मोबाइल नंबर से दो अप्रैल को विवेक नामक व्यक्ति नगला तिकोना, संगमपुर से रूपचंद (24 वर्षीय) को असामान्य दर्द होने पर दीनदयाल अस्पताल और एक घंटे बाद पुन: मेडिकल कालेज में भर्ती कराया जाता है। छह अप्रैल को पुन: इसी मोबाइल नंबर से सुनील नामक व्यक्ति के जरिए एंबुलेंस मंगाकर 50 वर्षीय गीतम को असामान्य दर्द होने पर दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराना दर्शाया है। अब यह नंबर बंद आ रहा है। ट्रू कालर पर किसी रोहित का नाम प्रदर्शित हो रहा है।
केस-दो
18 अप्रैल को पला रोड स्थित एडीए बैंक कालोनी निवासी अशर्फी देवी (70) को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में पहुंचाया जाना दर्शाया है। कालर का नाम मीरा देवी दर्ज है। इसी दिन कुछ घंटे बाद इसी नंबर से अशर्फीे देवी को मेडिकल कालेज में पहुंचाया जाना दर्शाया है। इस बार कालर का नाम राजूपाल दर्ज किया गया। इस नंबर पर संपर्क किया गया तो स्वजन ने अशर्फी लाल के जिला अस्पताल में भर्ती होने की बात तो स्वीकार की, लेकिन एंबुलेंस मंगाए जाने की बात से इन्कार किया।
केस-तीन
28 अप्रैल की सुबह एक 30 वर्षीय रोगी (नाम दर्ज नहीं) को गंभीर अज्ञात बीमारी होने पर जिला अस्पताल पहुंचाना दर्शाया गया है। कालर का नाम विकास दर्ज है। करीब दो घंटे बाद विकास के रिकार्ड पर पुन: अज्ञात बीमारी से ग्रस्त 55 वर्षीय व्यक्ति (नाम दर्ज नहीं) को जेएन मेडिकल कालेज में पहुंचाना दर्शाया गया है। जिस स्थान से रोगियों को ले जाया गया, दोनों ही बार इसका जिक्र नहीं है। इस नंबर पर काल की गई तो विकास नामक व्यक्ति हड़बड़ाया हुआ नजर आया। वह यह भी नहीं बता पाया कि उस तिथि को किन-किन रोगियों के लिए एंबुलेंस मंगाई।
केस-चार
30 अप्रैल की रात अशोक (35 वर्ष) नामक रोगी को घायल अवस्था में रामपुर सिटी से रामपुर डिस्ट्रिक्ट कंबाइंड हास्पिटल में भर्ती दर्शाया गया है। कालर का नाम रङ्क्षवद्र दर्ज है। मोबाइल नंबर पर काल की गई तो उसने अपना नाम अमित कुमार व पता एटा जनपद का बताया। रोगी के भी एटा का होने का दावा किया। जानकारी देते हुए वह काफी हड़बड़ाया हुआ दिखा और काफी सोच-विचारने के बाद ही बोल रहा था।
सत्यापन करते तो न होती फजीहत
ये केस तो सिर्फ बानगी भर हैं। वह भी मात्र अप्रैल माह में एक ही अस्पताल से संबंधित। यदि रोगियों का गंभीरता से सत्यापन किया जाए तो ऐसे और भी न जाने के कितने मामले सामने आएंगे। यदि विभाग पहले ही सत्यापन करके भुगतान की संस्तुति करता तो इतनी किरकिरी भी नहीं होती। खैर देर आए, दुरुस्त आए। विभाग को इस मामले की तह तक जाना चाहिए, ताकि दोषी कर्मियों, अधिकारियों व यदि सेवा प्रदाता कंपनी जिम्मेदार है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
ये है मामला
102 व 108 एंबुलेंस सेवा में गड़बड़ी की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री से की गई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने पहले राज्य स्तर पर जांच कराई। फर्जी ट्रिप सामने आने पर अलीगढ़ समेत 50 जनपदों में जांच शुरू की गई। यहां अपर निदेशक डा. वीके ङ्क्षसह ने चारों जनपदों में सत्यापन के लिए टीमें गठित की हैं। सीएमओ के स्तर से भी जांच की जा रही है। तीन दिन का समय दिया गया था, जो शुक्रवार को पूरा हो गया।
इनका कहना है
एंबुलेंस सेवा में कोई गड़बड़ी है तो जांच में सामने आ जाएगी। रोगियों का सत्यापन शुरू कर दिया गया है। रिपोर्ट मिलने पर ही स्पष्ट कहा जा सकेगा।
डा. वीके सिंह, अपर निदेशक (चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण)
स्वास्थ्य विभाग को हर रोगी का सत्यापन करना चाहिए। विभाग यह भी देखे कि कहीं अस्पताल में सीधे भर्ती हुए रोगियों के विवरण का इस्तेमाल तो नहीं किया गया।
अनिल पाराशर, कोल विधायक