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अलीगढ़ में ठंड का दिखने लगा असर, निमोनिया की चपेट में बचपन

अलीगढ़ जागरण संवाददाता । ठंड शुरू होने के साथ ही सर्दी जुकाम बुखार के साथ निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। यह खांसने या छींकने से फैलने वाली बीमारी भी है जो उचित इलाज के अभाव में जानलेवा साबित होती है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 05:03 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 05:06 PM (IST)
अलीगढ़ में ठंड का दिखने लगा असर, निमोनिया की चपेट में बचपन
ठंड शुरू होने के साथ ही सर्दी, जुकाम, बुखार के साथ निमोनिया का खतरा बढ़ गया है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता । ठंड शुरू होने के साथ ही सर्दी, जुकाम, बुखार के साथ निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। यह खांसने या छींकने से फैलने वाली बीमारी भी है, जो उचित इलाज के अभाव में जानलेवा साबित होती है। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों की ओपीडी में निमोनिया के मामले दिखने लगे हैं। विशेषज्ञ, अभिभावकों को ठंड से बचाव के साथ टीकाकरण की सलाह भी दे रहे हैं।

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निमोनिया के लक्षणों की पहचान जरूरी

सीएमओ डा. आनंद उपाध्याय ने बताया कि निमोनिया का सबसे ज्यादा खतरा शिशु और वृद्धों को होता है। शिशु अपनी परेशानी के बारे में खुलकर नहीं बता सकते, इसलिए उनमें निमोनिया के लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है। ध्यान रखें यदि शिशु को कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, पसलियां चल रही हों, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, बलगम के साथ तीव्र खांसी हो, खांसी में खून, खाना-पीना छोड़ना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र व चिकित्सक से संपर्क करें। ये जरा सी लापरवाही शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है।

टीकाकरण से बच्चों की संपूर्ण सुरक्षा

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. एमके माथुर ने बताया कि बच्चों की निमोनिया व अन्य बीमारियों से संपूर्ण सुरक्षा के लिए टीकाकरण बेहद कारगर है। 16 प्रतिशत बच्चे को न्यूमोकाकल जीवाणु प्रभावित करता है, जो निमोनिया का वाहक है। इससे बचाव के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर न्यूमोकाकल कांजुगेट वैक्सीनेशन (पीसीवी) का टीका निश्शुल्क उपलब्ध है। यह टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका न सिर्फ निमोनिया, बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस आदि बीमारियों से भी शिशुओं को सुरक्षा प्रदान करता है। माता-पिता को यही सलाह है कि बच्चों को न केवल पीसीवी, बल्कि संपूर्ण टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है।

व्यस्कों के लिए भी घातक, परामर्श जरूरी

राठी हास्पिटल की चेस्ट फिजीशियन डा. रूहीना राठी बताती हैं कि निमोनिया की बीमारी में फैंफड़े संक्रमित हो जाते हैं। इससे तरल पदार्थ या फिर मवाद भरने से कफ, बुखार, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। समय पर इलाज से मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन लापरवाही जानलेवा हो जाती है। निमोनिया के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत विशेषज्ञ से उपचार कराएं। घरेलू उपचार में काढ़ा और भाप आराम दे सकता है, पर वर्तमान में कोरोना के खतरे को देखते हुए सर्दी-जुकाम, बुखार व निमोनिया के लक्षण होने पर चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है। सर्दी व प्रदूषण से बचाव करें। अपने हाथों को नियमित साबुन व पानी से धोएं। मास्क का प्रयोग करें। सर्दी होने पर तुरंत भाप लेना शुरू कर दें।


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