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अलीगढ़ में अंधता निवारण कार्यक्रम पर अव्यवस्था का ‘अंधेरा’, जानिए पूरा मामला

जिले में राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम पर इन दिनों अव्यवस्था का अंधेरा छाया हुआ है। सरकारी अस्पतालों व अन्य केंद्रों पर मोतियाबिंद के मुफ्त आपरेशन की सुविधा करीब डेढ़ माह से बंद है। कुछ खास मरीजों के ही आपरेशन हो रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 08:11 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 08:15 AM (IST)
अलीगढ़ में अंधता निवारण कार्यक्रम पर अव्यवस्था का ‘अंधेरा’, जानिए पूरा मामला
सरकारी अस्पतालों व अन्य केंद्रों पर मोतियाबिंद के मुफ्त आपरेशन की सुविधा करीब डेढ़ माह से बंद है।

विनोद भारती, अलीगढ़। जिले में राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम पर इन दिनों अव्यवस्था का अंधेरा छाया हुआ है। सरकारी अस्पतालों व अन्य केंद्रों पर मोतियाबिंद के मुफ्त आपरेशन की सुविधा करीब डेढ़ माह से बंद है। कुछ खास मरीजों के ही आपरेशन हो रहे हैं। अन्य को रोजाना मायूस होकर लौटना पड़ रहा है, फिर भी अफसरों को ज्यादा चिंता नहीं। दरअसल, ये हालात आपरेशन में इस्तेमाल होने वाली दवा खत्म होने के कारण पैदा हुई है। दवा की खरीद सीएमओ को करनी है, यहां पर अभी टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई है। कब प्रक्रिया पूरी होगी और कब दवा की आपूर्ति, स्थिति स्पष्ट नहीं है।

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ये है योजना

राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत अस्पतालों में मुफ्त आपरेशन किए जाते हैं। अस्पतालों को आपरेशन व उसके बाद के उपचार हेतु दवा, लैंस, चश्मा आदि सामान सीएमओ कार्यालय से भेजा जाता है। इस वित्तीय वर्ष के लिए पिछले साल सामान दिया गया था, जिसमें से ज्यादातर खत्म हो गया है। विशेषज्ञों की लापरवाही ये रही कि उन्होंने दवा खत्म होने के बाद सूचना सीएमओ कार्यालय भेजी। बहरहाल, आपरेशन बंद होते ही विभाग को तत्परता दिखाते हुए जेम पोर्टल या टेंडर निकालकर खरीद करनी चाहिए। लेकिन, अभी तक किसी भी माध्यम से दवा नहीं खरीदी गई, जिसका खामियाजा गरीब लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

लक्ष्य से पिछड़ा विभाग

अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक सर्जन को साल में करीब 700 मोतियाबिंद के आपरेशन करना अनिवार्य है। दोनों जिला स्तरीय अस्पताल में दो-दो आई सर्जन हैं। इसके अलावा विभाग ने गांधी आई हास्पिटल व निजी संस्था निर्फात से भी अनुबंध किया है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में अक्टूबर तक 1591 आपरेशन ही हो पाए हैं। हालांकि, वर्ष 2019-20 में कोरोना संकट के चलते मात्र 718 आपरेशन हो पाए थे। जबकि, इससे पूर्व करीब पांच हजार मोतियाबिंद आपरेशन होते रहे हैं।

केस एक

अकराबाद के 67 वर्षीय टीकम सिंह को तीन माह पहले दिखना बंद हो गया। जांच कराई तो मोतियाबिंद का पता चला। पहले सीएचसी गए। वहां से आपेरशन के लिए जिला मलखान सिंह अस्पताल भेजा गया। टीकम के अनुसार जिला अस्पताल में दवा खत्म बताते हुए दीनदयाल जाने की सलाह दी गई। दीनदयाल पहुंचे तो वहां भी यही समस्या बताई। परेशान होकर निजी चिकित्सालय में जांच कराई है।

केस दो

क्वार्सी क्षेत्र की 65 वर्षीय विमलेश देवी को मोतियाबिंद आपरेशन कराना है। वे दीन दयाल अस्पताल व जिला अस्पताल गईं। लेकिन दोनों जगह आपरेशन में इस्तेमाल होने वाली दवा व अन्य सामान खत्म बताकर लौटा दिया गया। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि 10-12 हजार रुपये खर्च करके निजी अस्पताल में आपरेशन करा सके। वह इस इंतजार में हैं कि दवा आए तो निश्शुल्क आपरेशन कराएं।

इनका कहना है

नेत्र सर्जनों ने दवा समाप्त होने से पूर्व समय से सूचना नहीं दी। जेम या टेंडर प्रक्रिया से ही दवा खरीद की अनिवार्यता से विलंब हो रहा है। 23 नवंबर तक निविदा मांगी गई है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी होने के बाद दवा खरीदकर अस्पतालों को भेज दी जाएगी।

- डा. बीके राजपूत, नोडल अधिकारी (एसीएमओ), राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम।


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