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तंत्र के गण: कोरोना की बेड़ियां तोड़ दौड़ी ज्ञान की ''प्रतिभा'' Aligarh News

Tantra ke Gan कोरोना काल में लाकडाउन का दौर जब हर कोई खुद को सुरक्षित रखने के लिए घरों में कैद हो गया था। ऐसे में बंदिशों की बेड़ियों को तोड़ शिक्षा की अलख जगाने ज्ञान की प्रतिभा घर-घर दौड़ रही थी।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 07:18 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 07:18 AM (IST)
तंत्र के गण: कोरोना की बेड़ियां तोड़ दौड़ी ज्ञान की ''प्रतिभा'' Aligarh News
प्रतिभा भारद्वाज ने संक्रमण के खतरे को भुलाकर बच्चों के घर जाकर पढ़ाने का जिम्मा उठाया।

अलीगढ़,गौरव दुबे। कोरोना काल में लाकडाउन का दौर, जब हर कोई खुद को सुरक्षित रखने के लिए घरों में कैद हो गया था। ऐसे में बंदिशों की बेड़ियों को तोड़ शिक्षा की अलख जगाने ज्ञान की ''प्रतिभा'' घर-घर दौड़ रही थी। सरकारी स्कूल बंद हुए तो नौनिहालों की पढ़ाई अटक गई। इंटरनेट, डेटा व मोबाइल की अनुलपब्धता से आनलाइन शिक्षा भी कारगर नहीं हो रही थी। ऐसे में उच्च प्राथमिक स्कूल वीरपुर छबीलगढ़ी जवां की सहायक अध्यापिका (विज्ञान) प्रतिभा भारद्वाज ने संक्रमण के खतरे को भुलाकर बच्चों के घर जाकर पढ़ाने का जिम्मा उठाया। लाकडाउन में आने-जाने की दिक्कतें झेलते हुए एडीए कालोनी से करीब 25 किलोमीटर दूर जवां में जाकर बच्चों को पढ़ाया। शिक्षा का जुनून ऐसा कि खुद के खर्च पर छात्राओं को इंटरनेट डेटा उपलब्ध कराया तो छात्र मोहन को 5000 रुपये का नया एंड्रायड मोबाइल भी खरीदकर दिया। स्कूल के 102 बच्चों समेत क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी।

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ग्रुप से नहीं बना काम तो पहुंची घर
प्रतिभा बताती हैं कि शुरु में लाकडाउन लगने पर वाट्सएप पर ग्रुप बनाकर बच्चों को जोड़ा। मगर संसाधनों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई पिछड़ रही थी। इस पर सितंबर में पहली बार ब्लाक में बच्चों के घरों पर जाकर कोविड-19 गाइडलाइंस का पालन करते हुए 10-10 बच्चों के ग्रुप काे आठ सप्ताह तक पढ़ाया।
 माता-पिता ने छोड़ा गुरु ने थामा 
छात्रा डाॅली की मां का पहले ही निधन हो चुका था। कोरोना काल में पिता भी चल बसे। छात्रा सोनिया के पिता का भी देहांत हो गया। इन बच्चियों को मोबाइल पर खुद इंटरनेट डेटा उपलब्ध कराकर व इनके घर जाकर पढ़ाई कराई। दोनों अगली कक्षाओं में भी पहुंचीं।
 परिजनों को दी नैतिक शिक्षा
जिनके पास आनलाइन शिक्षा के संसाधन थे उनके बच्चे पढ़ाई से जुड़े रहें, इसके लिए प्रतिभा ने गूगल मीट पर ग्रुप बनाकर परिजनों के साथ बच्चों को जोड़ा। नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा दी। बच्चों को भी उसी में पढ़ाती रहीं।
 दादों में मोहल्ला पाठशाला
शिक्षिका के साथ अकादमिक रिसोर्स पर्सन की जिम्मेदारी निभाने वाली प्रतिभा ने बताया कि अक्टूबर में उन्होंने पहली मोहल्ला पाठशाला दादों में लगाई। 35-40 मोहल्ला पाठशाला लगाकर अभिभावकों व शिक्षकों को प्रेरित किया। आज भी ये काम जारी है।
 
मैडम जी ने कोरोना काल में भाई को नया एंड्रायड मोबाइल देकर उसकी पढ़ाई जारी रखवाई। इसकी कभी उम्मीद भी नहीं की थी। मोहन अब भी उसी से पढ़ रहा है।
नंदकिशोर, स्कूल का पूर्व छात्र
 
कोरोना काल में सहायक अध्यापिका प्रतिभा ने घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाया। इस जुनून से उन्होंने गुरु शब्द की गरिमा को बढ़ाया है। गणतंत्र दिवस पर उनको सम्मानित भी करेंगे।
डा. लक्ष्मीकांत पांडेय, बीएसए

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