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गांव में पहुंच बना रहीं शुगर व बीपी की बीमारियां, जानिए वजह Aligarh news

शुगर यानि डायबिटीज शहर-शहरियों की बीमारी मानी जाती है। क्योंकि शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव भी तेजी से बढ़ा है। खानपान की गलत आदतें भी लोगों को बीमारी बना रही हैं। डाक्टर खुद मरीजों को गांव जैसे शुद्ध वातावरण व हरियाली में जीवनयापन की सलाह देते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 09:45 AM (IST)
गांव में पहुंच बना रहीं शुगर व बीपी की बीमारियां, जानिए वजह Aligarh news
ग्रामीण क्षेत्रों में लगे मुख्यमंत्री आरोग्य मेले में काफी संख्या में शुगर व हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सामने आए।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शुगर यानि डायबिटीज, शहर-शहरियों की बीमारी मानी जाती है। क्योंकि, शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव भी तेजी से बढ़ा है। खानपान की गलत आदतें भी लोगों को बीमारी बना रही हैं। डाक्टर खुद मरीजों को गांव जैसे शुद्ध वातावरण व हरियाली में जीवनयापन की सलाह देते हैं। चिंता की बात ये है कि शुगर व हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां अब गांवों में पहुंच बना रही हैं। रविवार को ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए मुख्यमंत्री आरोग्यों मेले में काफी संख्या में शुगर व हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सामने आए। आइए, देखें ग्रामीणों क्षेत्रों में बीमारियों की स्थिति...

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ये है सूरतेहाल

जिले में रविवार को नगरीय व ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर मुख्यमंत्री जन आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन हुआ। इसमें 1880 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा दी गई। डेंगू व मलेरिया की जांच की गई। कोई डेंगू का मरीज नहीं मिला। सीएमओ डा. आनंद उपाध्याय ने बताया कि 52 केंद्रों पर 807 पुरुष, 793 महिलाएं और 280 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें आंखों के 49, बुखार के 171, त्वचा रोग के 421, एनीमिया के 34, लीवर के 10, सांस के 182, संभावित टीबी के चार, प्रसव पूर्व जांच के 105 तथा अन्य रोगों के 695 रोगी पाए गए हैं। डायबिटीज के 70 व हाई ब्लड प्रेशर के 38 मरीज पाए गए।

गामीणों में बढ़ रहा तनाव

वरिष्ठ फिजीशियन डा. जीएम राठी बताते हैं कि पहले गांवों में काफी खुशियाली होती थी। लोग खेती-किसानी करते थे। खूब मेहनत करते थे। खूब खाते थे। मशीनीकरण युग शुरू होने के बाद मेहनत कम हुई है। काफी किसान खुद काम न करके मजदूरों को लगाते हैं। युवाअों का रूझान खेतीबाड़ी से हटा है। जोत भी अब छोटी हो रही है। हर किसी के समक्ष रोजी-रोटी का संकट है। गांवों के शहर से जुड़ने के कारण गांव के खानपान में भी काफी बदलाव आया है। इसे मजबूरी कहें या कुछ और। गांव से दूध-मट्ठा तक बिकने लगा है। ग्रामीणों के जीवन में तनाव निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में शहरियों को होने वाली तमाम बीमारियों अब ग्रामीणों को अपनी चपेट में लेने लगी हैं।


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