Good News : नई यूनिट 660 के बॉयलर से स्टीम ब्लांइग का कार्य शुरू, अप्रैल से शुरू हो सकता विद्युत उत्पादन Aligarh news
कासिमपुर में पश्चिम उत्तर प्रदेश की सबसे बडी ईकाई हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना की नव निर्माणधीन ईकाई 660 मेगावाट ने अपने शुरू के महत्वपूर्ण दोनों चरणों के टेस्ट पास कर सुपर क्रिटिकल बॉयलर से स्टीम ब्लांइग का कार्य शुरू कर दिया है
अलीगढ़, जेएनएन : कासिमपुर में पश्चिम उत्तर प्रदेश की सबसे बडी ईकाई हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना की नव निर्माणाधीन इकाई 660 मेगावाट ने अपने शुरू के महत्वपूर्ण दोनों चरणों के टेस्ट पास कर सुपर क्रिटिकल बॉयलर से स्टीम ब्लांइग का कार्य शुरू कर दिया है साथ ही आगामी अप्रैल माह तक विद्युत उत्पादन करने के सकेंत भी दे दिए हैैं।
अहम बतायी जा रही प्रक्रिया
नई यूनिट को लाइट अप करने से पहले यह प्रक्रिया अहम बताई जा रहीं है। इस प्रक्रिया में बॉयलर से स्टीम बनाकर उसके प्रेशर से टयूबों की सफाई की जाती है। बताया जा रहा है अगर टयूबों में तनिक भी गदंगी के कण रह गए तो टरबाइन को भी नुकसान पहुंचा सकतें हैं। इससे पहले हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना 620 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए जानी जाती थी लेकिन अब जल्द ही 1280 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने के लिए जानी जायेगी। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 660 मेगावाट यूनिट का निर्माण यूपीआरवीयूएनएल एवं कार्यदायी कंपनी तौशिबा के आला अधिकारियों की देख रेख में किया जा रहा है। कोविड -19 के चलते भी यूनिट ने प्रस्तावित समय सीमा में अपना पहला चरण हाइड्रो एवं बॉयलर लाइट अप का टेस्ट बडी कुशलता से पास कर चुकीं है।
सिंक्रोनाइजेशन जैसी अहम प्रक्रिया समयावधि में हो सकती है पूरी
660 मेगावाट यूनिट जिसका दायरा 60 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बन कर तैयार हो रही है जिसकी लागत पहले 3500 करोड़ निर्धारित हुई थी लेकिन मानकों को ध्यान में रखते हुए 5500 करोड़ पर जाकर पहुंच गई लगभग पूरी होने की ओर है।अपनी निर्धारित समयावधि में यूनिट ने अपने सारे टेस्ट पास कर चुकी है। आगामी फरवरी माह में यूनिट का महत्वपूर्ण टेस्ट (सिंक्रोनाइजेशन) का होना बाकी है।इस टेस्ट में यूनिट से विद्युत उत्पादन कर ग्रिड़ को भेजा जायेगा। टेस्ट पास होने पर यूनिट अप्रैल माह में विद्युत उत्पादन शुरू कर सकती है।
पर्यावरण से लेकर ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए तैयार की जा रही है नई यूनिट
पर्यावरण एवं ध्वनि प्रदूषण के मानकों को देखते हुए 660 मेगावाट यूनिट तैयार की जा रहीं है क्योंकि इससे पहले लगाई गई 250 - 250 मेगावाट की दोनों यूनिटें पर्यावरण एवं ध्वनि प्रदूषण को फैलाने में पीछे नहीं रही हैं। इन दोनों यूनिटों का निर्माण बीएचईएल के द्वारा किया गया था। इसका खुलासा विधान सभा में पेश (नियंत्रक - महालेखा परीक्षक ) सीएजी रिपोर्ट में हो चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचईएल के द्वारा खराब गुणवत्ता वालें बॉयलर टयूबों का इस्तेमाल किया गया था।जिसके चलते आठ नंबर और नौ नंबर यूनिट में आए दिन लीकेज होने से 250 एमयू बिजली का नुकसान होने के साथ ही 1.94 करोड़ का उन्हें हटाने में खर्च करना पड़ा था। वहीं सात नंबर यूनिट के आधुनिकी करण करने पर 298.23 करोड़ रूपये खर्च किया जा चुका है फिर भी यूनिट पर्यावरण एवं ध्वनि प्रदूषण फैलाने में पीछे नहीं है,जिसको बंद करने की तैयारी की जा रही है।फिलहाल यूनिट सात थर्मल जो 120 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता रखती है थर्मल बैकिंग पर आठ जनवरी 2020 से बंद है। 660 यूनिट का निर्माण सुपर क्रिटिकल बॉयलर पर आधारित होने का दावा परियोजना प्रबंधन कर रहा है।प्रबंधन की तरफ से बताया जा रहा है सुपर क्रिटिकल बॉयलर की खासियत यह है कि कोयले की खपत पांच फीसदी कम होगी, जिससे पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। वहीं पानी के सदुपयोग को देखते हुए बार -बार पानी का इस्तेमाल किया जा सकें उसके लिए रिजर्व टैंक भी बनायें गए है।