अलीगढ़, जेएनएन। समय बदला, सत्ता बदली परंतु मानसिकता नहीं बदली। आज के तकनीकी युग एवं बदलते परिवेश में भी कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो अपनी गलत आदतों की वजह से संपूर्ण शासकीय सेवाओं पर
प्रश्नचिन्ह्
लगाते हैं। मामला जनपद
एटा
का है।
जलेसर
महावीर गंज निवासी मुकुल कुशवाह एक युवा हैं। शैक्षिक योग्यता स्नातक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े फैन हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हैं। यही सोचकर उनके द्वारा हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया गया, लेकिन भ्रष्टाचार की
विषबेल
ने उनके प्रमाण पत्र को आगे ही नहीं
बढ़ने
दिया। तंग आकर मुकुल कुशवाह ने
आईजीआरएस
पोर्टल पर 12 फरवरी को शिकायत की। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय लेखपाल यदुवीर सिंह ने उनके आवेदन पत्र पर आपत्ति लगाई गई है कि प्राप्त प्रपत्रों में संस्था का नाम गलत दर्शाया गया है। इसपर उनके द्वारा आपत्ति लगाकर निरस्त करने के संस्तुति भी की गयी है।
मुकुल कुशवाह ने मार्च माह में एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ हैसियत प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। ऑनलाइन चैक करने पर ज्ञात हुआ कि लगभग
साढ़े
तीन माह व्यतीत होने के बाद भी आवेदन पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। तब उन्होंने जिलाधिकारी
एटा
को 29 जून को शिकायती पत्र पर व्यथा प्रकट करते हुए लिखा कि लेखपाल यदुवीर सिंह द्वारा संपत्ति का भौतिक सत्यापन करने के लगभग 3 माह व्यतीत हो चुके हैं, परंतु अभी तक हैसियत प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।अब मंडलायुक्त जीएस प्रियदर्शी ने मुकुल कुशवाह की शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम
एटा
से जवाब मांगा। 19 अगस्त को डीएम ने पत्र में बताया कि मुकुल कुशवाह निवासी महावीर गंज
जलेसर
को 13 अगस्त को हैसियत प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया है। मंडलायुक्त ने सभी डीएम, एसडीएम को निर्देशित किया है कि अधिनस्थों पर अंकुश लगाते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएं और इस तकनीकी युग में कार्यों को लंबित न रखते हुए त्वरित गति से कार्य
कराये
जाएं, जिससे शासकीय योजनाओं का लाभ समय से जनता को प्राप्त हो सके।