अलीगढ़ में दीनदयाल अस्पताल के कोविड वार्ड से स्टाफ लापता, स्वजन खुद कर रहे देखभाल
जिंदगी हर किसी को प्यारी होती है लेकिन इसके लिए अपनी जिंदगी को तो खतरे में नहीं डाल सकते। लेकिन इन दिनों दीनदयाल अस्पताल के कोविड वार्डों में ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। यहां स्टाफ की बजाय मरीज के पास स्वजन ही देखभाल करने पहुंच रहे हैं
अलीगढ़, जेएनएन। अपनों की जिंदगी हर किसी को प्यारी होती है, लेकिन इसके लिए अपनी जिंदगी को तो खतरे में नहीं डाल सकते। लेकिन, इन दिनों दीनदयाल अस्पताल के कोविड वार्डों में ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। यहां स्टाफ की बजाय मरीज के पास स्वजन ही देखभाल करने पहुंच रहे हैं, जबकि यह कोविड प्रोटोकाल के खिलाफ है। इसे मरीज की सेहत को लेकर फिक्रमंद लोगों की मजबूरी भी कह सकते हैं। दरअसल, अस्पताल में स्टाफ की काफी कमी है, इससे मरीजों की देखरेख ठीक से नहीं हो पाती। ऐसे में स्वजन खुद ही वार्ड में आ जाते हैं, भले ही उनकी जिंदगी को खतरा हो। अस्पताल प्रबंधन को भी इसकी चिंता नहीं।
मरीज ज्यादा स्टाफ कम
दीनदयाल कोविड अस्पताल में करीब 300 मरीजों के उपचार की सुविधा है। जबकि, मरीजों के अनुपात में स्टाफ की नियुक्ति नहीं है। न तो पर्याप्त संख्या में पीजी डाक्टर हैं और न एमबीबीएस। स्टाफ नर्स से लेकर वार्ड ब्वाय व स्वीपर तक पर्याप्त संख्या में नहीं। ऐसे में मरीजों के पास घंटों तक डाक्टर तो दूर स्टाफ तक देखने नहीं आता। ऐसे में कई बार मरीज को परेशानी होने लगती है। क्योंकि, काफी मरीज तो ऐसे हैं, जो स्वयं दवा भी नहीं ले सकते। खाना नहीं खा सकते। शौचालय नहीं जा सकते। सेहत संबंधी कोई परेशानी हो तो डाक्टर भी चाहिए। विडंबना ये है कि ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए वर्तमान में यहां व्यवस्था नहीं दिख रही। यह बात मरीज को भर्ती करते ही उनके स्वजन को समझ में आ जाती है।
अस्पताल परिसर में ही डेरा
पूर्व में जहां मरीज को भर्ती करने के बाद स्वजन घर लौट जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। मरीजों के स्वजन अस्पताल परिसर में दिनरात डेरा जमाए हुए रहते हैं। मरीज के साथ फोन के जरिए संपर्क में रहते हैं। जब भी मरीज को जरूरत होती है, वे तुरंत वार्ड में पहुंच जाते हैं। कई बार कर्मचारी रोकते-टोकते हैं तो उनके टका सा जवाब मिलता है कि आप लोग देखने लगोगे तो हमें आने की जरूरत नहीं मिलेगी। कई बार इसे लेकर नोकझोंक हो जाती है। मारपीट तक की घटनाएं अस्पताल में हुईं। लोगों का कहना है कि यहां मरीजों की मौत का एक कारण उचित देखभाल व उपचार न होना भी है।
मरीजों के घरवालों को बार-बार समझाया जाता है कि वे कोविड वार्ड में न पहुंचे। हमारा स्टाफ उनकी देखभाल कर रहा है । लेकिन वे लोग मानते ही नहीं और स्टाफ से झगड़ना शुरू कर देते हैं। अब दवा व भोजन आदि देने के लिए हेल्प डेस्क पर ही व्यवस्था कर दी गई है। लोगों से अपील है कि ऐसी महामारी के समय मरीज के पास न जाएं, इससे उनकी जिंदगी को भी खतरा है।
- डा. एबी सिंह, सीएमएस दीनदयाल अस्पताल।