जनाब ये कोई खंडहर नहीं, पच्चीस वर्षों से बंद पड़ा अस्पताल है, जानिए क्योंं है ये हाल Aligarh news
खैर गांव में करीब 30 वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से अस्पताल बनाकर चारदीवारी की गई थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते केंद्र की देखभाल करना तो दूर आज तक कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। जिस कारण जहां अस्पताल की चारदीवारी गिर गई है।
अलीगढ़, जेएनएन : खैर गांव में करीब 30 वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से अस्पताल बनाकर चारदीवारी की गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते केंद्र की देखभाल करना तो दूर आज तक कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। जिस कारण जहां अस्पताल की चहारदीवारी गिर गई है, वहीं भवन भी जर्जर हो गया है। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने भवन के प्रांगण में नालियों का गंदा पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। अवैध रूप से कब्जा कर गोबर के उपले भी थापने शुरू कर दिए हैं। भवन के प्रांगण ने गहरे तालाब का रूप धारण कर लिया है, लेकिन बार बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन व विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन व सरकार के खिलाफ अनदेखी का आरोप लगाया है।
सभी कर्मचारियों का हो गया स्थानांतरण
जानकारी के अनुसार तहसील के अंतर्गत स्थित मथना तथा उसके आसपास के कई गांव के लोगों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने डॉक्टर से लगायत सभी जरूरी कर्मचारियों की तैनाती भी कर दी गई थी करीब पांच साल तो सबकुछ ठीक चला लेकिन इसके बाद एक एक करके सभी कर्मचारियों का यहां से स्थानांतरण हो गया करीब पच्चीेस वर्ष का समय बीत गया लेकिन किसी भी कर्मचारी की तैनाती यहां नहीं हुई।
इनका कहना है
ग्राम प्रधान मंजू देवी ने बताया कि वह उपचुनाव में प्रधान बनी थी गांव के विकास के लिए काफी कार्य कराये गए हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों से कई बार अस्पताल की शिकायत की गई है किसी ने आज तक नही देखा।
ग्रामीण दीपक चौधरी बताते है कि मथना गांव के लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे है रात में यदि किसी की तबीयत खराब हो जाती है तो उसका इलाज होना मुश्किल हो जाता है ।
ग्रामीण राधाचरन सिंह बताते है कि स्वास्थ्य न विभाग की हालात यह है कि वह अपने इस अस्पताल को ही भूल गया है अस्पताल का भवन गिरने के करीब पहुंच गया है।
ग्रामीण किशन सिंह बताया है कि कि गांव के अस्पताल की कई बार लिखित शिकायत तहसील दिवस व सीएचसी अधीक्षक खैर को की गई है लेकिन आज तक किसी ने अस्पताल की ओर नही देखा है।