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एएमयू के पीछे सर सैयद का एक ही सपना था कौम अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकले, जानिए वजह Aligarh news

एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां का यूनिवर्सिटी बिरादरी आज जन्म दिवस मना रही है। एएमयू के पीछे सर सैयद का एक ही सपना था कौम अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकले। वो चाहते थे कि कैंब्रिज और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह ही छात्र शिक्षा लें।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 07:46 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 07:46 AM (IST)
एएमयू के पीछे सर सैयद का एक ही सपना था कौम अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकले, जानिए वजह Aligarh news
एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां का यूनिवर्सिटी बिरादरी आज जन्म दिवस मना रही है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां का यूनिवर्सिटी बिरादरी आज जन्म दिवस मना रही है। एएमयू के पीछे सर सैयद का एक ही सपना था कौम अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकले। वो चाहते थे कि कैंब्रिज और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह ही छात्र शिक्षा लें। समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करें। सर सैयद चाहते तो किसी और भी शहर में मदरसा के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखते, लेकिन उन्हें अलीगढ़ को ही सबसे उपयुक्त पाया। अव्वल तो यह शहर पर्यावरण की दृष्टि से सबसे अहम था। दूसरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली के नजदीक भी। यूनिवर्सिटी बिरादरी के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती सर सैयद के सपनों को और ऊंचाइयां प्रदान करने की है। छात्र, शिक्षक ही नहीं हर किसी को इसमें भूमिका निभानी होगी। ऐसे शोध कार्य करने की जरूरत है जो राष्ट्र के हित में हों। यूनिवर्सिटी नंबर एक बने ये सपना भी देखते रहना होगा।

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सख्त तो होना ही होगा

एएमयू देश ही नहीं विदेशों में भी विख्यात है। यहां कुछ भी होता है उसकी गूंज दूर तक आती है। यूनिवर्सिटी की शाख पर बट्टा तब लेता है जब यहां अनावश्यक घटनाक्रमों को अंजाम दिया जाता है। कभी कुलपति के ही विरोध में पर्चा चस्पा कर दिए जाते हैं तो कभी बाहरी लोग फायरिंग को अंजाम देते हैं। ऐसा करने वाले अपने मकसद में कामयाब भले ही हो जाते हों लेकिन यूनिवर्सिटी को इसका नुकसान ही उठाना पड़ता है। ऐसे में यूनिवर्सिटी से जुड़े हर शख्स की जिम्मेदारी बनती है कि असमाजिक तत्वों को कैंपस में हावी न होने दिया जाए। लाकडाउन के दौरान ही कई घटनाएं हुईं जिनके चलते एएमयू सुर्खियों में रहीं। कोरोना अब धीरे-धीरे खात्मे की ओर है। माहौल ठीक होने पर यूनिवर्सिटी भी खुलेगी। हर उस कमजोर कड़ी को मजबूत करना होगा ताकि कोई बाहरी युवक कैंपस में घुसकर फिर से आत्महत्या न कर बैठे।

अब टोल रोड का ये हाल

रामघाट रोड पर पीएसी के पास सड़क की जो हालत हुई थी उसे सबको पता है। जैसे-जैसे सड़क की मरम्मत हुई तो वो भी कुछ दिन बाद उखड़ गई। अच्छी बात ये है कि अब नाला निर्माण हो रहा है। फिर से सड़क भी बनेगी। अब ऐसा ही हाल रूसा अस्पताल के पास आगरा हाईवे का हो गया है। आसपास की कालोनियों का पानी हाईवे पर भर रहा है। सड़क में गड्ढे भी हाे गए हैं। हादसा होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि इस टोल मार्ग का हाल अभी अचानक हुआ हो। आसपास की कालोनियों का पानी तो पहले भी भरता था, लेकिन एनएचएआइ ने मार्ग निर्माण से पहले ठीस रणनीति नहीं बनाई। नगर निगम के अफसर भी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। लोगों से गृह कर से लेकर अन्य कर जब लेते हैं तो सुविधा देनी की जिम्मेदारी भी निगम की बनती है।

कतार में खड़े टिकट के तलबगार

चुनाव का बिगुल जबसे बजा है, सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। साइकिल वाले भैयाजी को इस चुनाव से खासा उम्मीद है। भैयाजी की उम्मीदों ने तमाम पार्टीजनों में अाशा जगा दी है। यही वजह है कि टिकट के तलबगारों की कतार लंबी होती जा रही है। इस कतार में पूर्व माननीय तो खड़े ही हैं, जिलाध्यक्ष, पूर्व जिलाध्यक्ष और कई नए पदाधिकारी भी किस्मत आजमा रहे हैं। रिश्तों में प्रगाढ़ता लाने और बिछड़ों को गले लगाने का दौर तेज हो चला है। कोई पानी पिलाकर समर्थन हासिल कर रहा है तो कोई कमजोरों को शिक्षित बनाने का भरोसा दिलाकर सहयोग मांग रहा है। ठाकुर साहब तो पुराने सिद्धांत ही अपनाए हुए हैं। बुर्जुगों के पैरों में माथा टेककर आशीर्वाद ले रहे हैं। कुछ मौन साधकर भी काम चला रहे हैं। इन्हें पक्का भरोसा है कि इस बार टिकट तो उन्हें ही मिलेगा। भैयाजी से संबंध जो मधुर हैं।


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