बीमार आरक्षी को छुट्टी के बदले मिला काम, हो गयी मौत, जानिए मामला Aligarh news
कोतवाली देहात (सहारनपुर) के चंदौली निवासी 27 वर्षीय वीरेंद्र कुमार पुत्र नरेशपाल सिंह पीएसी की टोली संख्या सात व चेस्ट नंबर 163 रिक्रूट आरक्षी थे। ट्रेनिंग के दौरान वीरेंद्र कुमार की तीन-चार दिन पहले तबीयत खराब हुई थी। चर्चा है कि वीरेंद्र ने तीन दिन की छुट्टी मांगी थी।
अलीगढ, जेएनएन। क्वार्सी थाना क्षेत्र के रामघाट रोड स्थित पीएसी 38वीं वाहिनी में ट्रेनिंग ले रहे सहारनपुर के रिक्रूट आरक्षी की मंगलवार को बीमारी से मौत हो गई। स्वजन बिना पोस्टमार्टम कराए शव को ले गए। इधर, अन्य आरक्षियों ने आरटीसी (रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर) में अधिक दौड़ लगवाने व छुट्टियां न देने को लेकर करीब दो घंटे हंगामा किया। आरक्षी खाना छोड़कर धरने पर बैठ गए। ऐसे में पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को आना पड़ा। करीब एक घंटे की बातचीत के बाद आरक्षी माने, जिसके बाद हंगामा शांत हुआ।
तीन दिन का मांगा था अवकाश लेकिन नहीं मिला
कोतवाली देहात (सहारनपुर) के चंदौली निवासी 27 वर्षीय वीरेंद्र कुमार पुत्र नरेशपाल सिंह पीएसी की टोली संख्या सात व चेस्ट नंबर 163 रिक्रूट आरक्षी थे। ट्रेनिंग के दौरान वीरेंद्र कुमार की तीन-चार दिन पहले तबीयत खराब हुई थी। चर्चा है कि वीरेंद्र ने तीन दिन की छुट्टी मांगी थी। लेकिन, उसे छुट्टी नहीं दी गई। बल्कि उससे दौड़ लगवाई गई, जिसके चलते हालत और बिगड़ गई। हालांकि अधिकारियों ने इससे इन्कार किया है। हालत बिगड़ने पर वीरेंद्र को दीनदयाल अस्पताल से दवा दिलवाई गई। इधर, सोमवार को जब ज्यादा बिगड़ गई तो उसे दीनदयाल अस्तपाल में भर्ती कराया गया। यहां से रात में उसे जेएन मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया। जहां से मंगलवार सुबह वीरेंद्र को रामघाट रोड स्थित निजी अस्पताल लाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। वीरेंद्र के स्वजन बिना पोस्टमार्टम कराए शव को ले गए। इधर, वीरेंद्र की मौत की खबर उसके साथियों को हुई तो उन्होंने खाना छोड़ दिया। रात करीब आठ बजे पीएसी के गेट पर धरने पर बैठ गए। इससे अधिकारियों में खलबली मच गई। चर्चा है कि आरक्षियों ने दीवार फांदकर बाहर निकलने की कोशिश की। लेकिन, गेट बंद करके उन्हें रोका गया। कमांडेंट के अलावा एसडीएम कोल कुंवर बहादुर सिंह, एसपी सिटी कुलदीप सिंह गुनावत, सीओ द्वितीय मोहसिन खान पहुंचे। आरक्षियों ने कहा कि ट्रैनिंग के दौरान तानाशाही की जाती है। छुट्टी नहीं दी जाती है। अधिकारियों ने जैसे-तैसे आरक्षियों को समझाकर शांत किया।
मीडिया को जाने से रोका
एक तरफ अधिकारी किसी भी हंगामे से इन्कार करते रहे। वहीं दूसरी तरफ भारी फोर्स को बुलाया गया था। मुख्य गेट के बाहर भी फोर्स तैनात था। वहीं मीडिया को अंदर जाने से रोका गया। बुधवार को मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर देररात तक अधिकारी परिसर में जुटे रहे।
इनका कहना है
आरक्षियों ने कुछ शिकायतें रखीं थीं। इनमें अधिक दौड़ लगवाने, छुट्टी न देने की बात थी। हालांकि उन्हें समझाया गया, जिसके बाद आरक्षी मान गए।
कुंवर बहादुर सिंह, एसडीएम कोल
रिक्रूट आरक्षी वीरेंद्र की मौत लंग्स डैमेज होने की वजह से हुई है। स्वजन बिना पोस्टमार्टम कराए शव को ले गए थे। परिसर में हंगामे जैसी कोई बात नहीं है। न ही कोई तानाशाही हो रही है। संवाद में कमी के चलते आरक्षियों ने कुछ बातें रखी थीं, जिन्हें समझा दिया गया है।
अनीस अहमद अंसारी, कमांडेंट, पीएसी 38वीं बटालियन